महंगाई के मोर्चे पर आम आदमी को बड़ा झटका लग सकता है। बिस्किट, नूडल्स और कई तरह के डिटर्जेंट और साबुन के दामों में 6 से 7 फीसदी का इजाफा देखने को मिल सकता है। द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारत सरकार ने बेसिक कस्टम ड्यूटी को 20% बढ़ाने का फैसला किया है। इजाफा क्रूड और रिफाइंड एडिबल ऑयल में किया गया है।
आखिर क्यों बढ़ सकते हैं बिस्किट-नूडल्स के दाम?
समझने वाली बात यह है जो रिफाइंड एडिबल ऑयल होता है, वो अधिकांश FMGG कंपनियों के लिए रॉ मटेरियल का 12 से 20% हिस्सा होता है। इसके ऊपर क्योंकि अभी भी 1 से 2 महीने की इन्वेंटरी कंपनियों के पास पड़ी हुई है, ऐसे में दाम का बढ़ना लाजिमी भी लग रहा है। जानकार तो यह भी बताते हैं कि पाम ऑयल के अलावा दूसरी इंपोर्ट कॉस्ट भी बढ़ गई हैं, इसमें गेहूं के दाम में भी की इजाफा देखने को मिला है।
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क्रूड और रिफाइंड पाम ऑयल से महंगाई का क्या कनेक्शन?
भारत जैसे देश में 95% तेल की आपूर्ति इंपोर्ट के जरिए होती है, ऐसे में जब इनपुट ड्यूटी को बढ़ा दिया जाता है, कई केटेगरी के प्रोडक्ट्स पर इसका सीधा असर देखने को मिलता है। क्रूड पाम आयल एक काफी जरूरी इनपुट है जिसका इस्तेमाल कपड़े साफ करने वाले डिटर्जेंट, शैंपू और कॉस्मेटिक में इस्तेमाल होता है। इसी तरह जो रिफाइंड पाम तेल होता है वो बिस्किट, नूडल और चॉकलेट में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है।
फूड बिजनेस में महंगाई का क्या कारण?
द इकोनॉमिक टाइम्स से बात करते हुए डाबर के चीफ एग्जीक्यूटिव मोहित मल्होत्रा ने कहा कि हमे लगता है कि साल की दूसरी तिमाही में भी महंगाई देखने को मिल सकती है। खाद्य महंगाई लगातार बढ़ रही है, इसी वजह से फूड बिजनेस में भी कुछ चीजों के दाम बढ़ाने पड़ सकते हैं।