Bilkis Bano Case: बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों में से तीन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। तीनों दोषियों ने जेल अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण करने के लिए समय बढ़ाने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

दोषियों के वकील द्वारा तत्काल सुनवाई के लिए उनकी याचिका का उल्लेख करने के बाद सुप्रीम कोर्ट उनकी याचिका को सूचीबद्ध करने पर सहमत हुआ, क्योंकि आत्मसमर्पण करने का समय 21 जनवरी को समाप्त हो रहा है।

11 दोषियों में से तीन ने शीर्ष अदालत में आवेदन दाखिल कर सरेंडर की अवधि बढ़ाने की मांग की है। कोर्ट से गोविंद नाई ने 4 सप्ताह, जबकि मितेश भट्ट और रमेश चांदना ने 6 सप्ताह की मोहलत मांगी है। इन दोषियों ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया है।

गुजरात के हाई प्रोफाइल बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी 2024 को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था। जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने बिलकिस बानो केस में 11 दोषियों को बरी करने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। इतना ही नहीं सुप्रीम ने अपने फैसले में दोषियों को दो हफ्ते में आत्मसमर्पण करने के लिए कहा था।

क्या है पूरा मामला

2002 में गुजरात में गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था। इसके बाद गुजरात में दंगे फैल गए थे। इन दंगों की चपेट में बिलकिस बानो का परिवार भी आ गया था। मार्च 2002 में भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया था। उस वक्त बिलकिस बानो 21 साल की थीं और 5 महीने की गर्भवती थीं। इस मामले में 11 दोषियों ने उसकी तीन साल की बेटी सहित उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या कर दी थी। जबकि बाकी के छह सदस्य भाग गए थे।

गुजरात सरकार ने कर दिया था 11 दोषियों को रिहा

इस मामले में CBI कोर्ट ने 11 लोगों को दोषी ठहराया था। साथ ही उम्रकैद की सजा सुनाई थी। दोषियों में से एक ने गुजरात हाईकोर्ट में अपील दायर कर रिमिशन पॉलिसी के तहत रिहा करने की मांग की थी। गुजरात हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। इसके बाद दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार से फैसला लेने के लिए कहा था। इसके बाद गुजरात सरकार ने रिहाई पर फैसला करने के लिए कमेटी का गठन किया। कमेटी की सिफारिश पर गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था।

इसमें जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहनिया, प्रदीप मोर्दहिया, बकाभाई वोहनिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना शामिल थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई के फैसले को रद्द कर दिया है।