सुप्रीम कोर्ट से बिलकिस बानो मामले के दोषियों को बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार के फैसले को पलट दिया है जिसमें उससे दोषियों की सजा को वक्त से पहले खत्म कर दिया था। सभी दोषियों को अब 2 सप्ताह के अंदर सरेंडर करना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार के खिलाफ कड़ी टिप्पणी भी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गैंगरेप और हत्या के दोषियों की समय से पहले रिहाई घिसा-पिटा आदेश है।

दोषियों के पास अब क्या रास्ता?

सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की सजा माफी को रद्द कर दिया है। अब सभी आरोपियों को सरेंडर करना होगा। हालांकि अभी भी दोषियों के पास कानूनी विकल्प बचे हैं। दोषी सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका यानी रिव्यू पिटीशन फाइल कर सकते हैं। नियम के मुताबिक दोषियों को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के 30 दिन के अंदर रिव्यू पिटीशन फाइल करनी होगी।

हालांकि रिव्यू पिटीशन में राहत मिलने के आसार ना के बराबर होते हैं। इसके अलावा जेल में कुछ समय बिताने के बाद दोषियों के पास सजा की माफी के लिए एक बार फिर आवेदन करने का अधिकार है। हालांकि इस बार दोषियों के सजा के लिए महाराष्ट्र सरकार के सामने आवेदन करना होगा। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में की गई थी। दोषियों को सजा भी महाराष्ट्र की अदालत ने सुनाई। ऐसे में सजा में छूट देने का अधिकार भी महाराष्ट्र सरकार के पास है।

क्या है मामला

2002 में गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था। उस समय उसकी उम्र सिर्फ 21 साल थी। वह 5 महीने की गर्भवती भी थी। दोषियों ने उसकी 3 साल की बेटी के अलावा परिवार के 7 लोगों की हत्या कर दी थी। इस मामले में कोर्ट ने सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। गुजरात सरकार ने सभी दोषियों की सजा को खत्म कर उन्हें 15 अगस्त 2022 को रिहा कर दिया। जेल से बाहर आने के बाद दोषियों के स्वागत और जश्न की तस्वीरें सामने आई थीं। बिलकिस बानो ने दोषियों की रिहाई के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।