Bilkis Bano Case in Supreme Court: बिलकिस बानो केस में रिहा हुए 11 दोषियों के खिलाफ दायर हुई याचिका में मामले में गुरुवार, 25 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकरा को नोटिस भेजा है। इस मामले की सुनवाई आज यानी गुरुवार, 25 अगस्त को चीफ जस्टिस एन वी रमना, जस्टिस अजय रस्तोगी और विक्रम नाथ की बेंच ने की। इस मामले पर अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।
बता दें कि 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के सामूहिक रेप के 11 दोषियों की रिहाई के फैसले को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ताओं की तरफ से अदालत में कपिल सिब्बल पेश हुए थे। न्यायमूर्ति रस्तोगी ने सिब्बल से पूछा, ”आजीवन सजा पाने वाले दोषियों को अक्सर छूट दी जाती रही है, तो फिर इस मामले में अपवाद क्या है?”
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यहां सवाल यह है कि दोषी क्या गुजरात के नियमों के तहत सजा में छूट के हकदार हैं या नहीं? हमें यह देखना होगा कि दोषियों को छूट देते समय नियमों को ध्यान में रखा गया था या नहीं। न्यायमूर्ति रस्तोगी ने कहा, “केवल इसलिए कि इससे जुड़ा अधिनियम भयावह था, यह कहना इस छूट को गलत बताने के लिए पर्याप्त है?”
‘होलसेल में हुई रिहाई’:
वहीं इससे पहले दोषियों को रिहा करने के खिलाफ दायर हुई याचिका में कहा गया है कि बिलकिस बानो केस की जांच सीबीआई द्वारा हुई थी, ऐसे में गुजरात सरकार को केंद्र सरकार की सहमति के बिना धारा 432 सीआरपीसी के तहत समय से पहले रिहाई देने का कोई अधिकार नहीं है। इसमें कहा गया है कि सभी 11 दोषियों को समय से पहले एक ही दिन ‘होलसेल’ में रिहा किया गया।
किन्हें किया गया रिहा:
जिन दोषियों को रिहाई मिली है, उनमें राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, जसवंतभाई नाई, गोविंदभाई नाई, शैलेष भट्ट, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोरधिया, मितेश भट्ट और रमेश चंदाना शामिल हैं।
इस मामले में महुआ मोइत्रा के अलावा सामाजिक कार्यकर्ता सुभाषिनी अली, रूप रेखा वर्मा और रेवती लाल की तरफ से कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है।
क्या है मामला:
गौरतलब है कि गुजरात सरकार ने बिलकिस बाने केस के 11 दोषियों को बीते 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर पुरानी छूट नीति के तहत रिहा करने का फैसला किया था। बता दें कि 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में ट्रेन जलाने की घटना के बाद दंगे भड़क गये थे। इस दौरान 3 मार्च 2002 को दाहोद के लिमखेड़ा तालुका में बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और परिवार के ही 14 सदस्यों को भीड़ ने मार डाला था।
मारे गए लोगों में से छह के शव कभी नहीं मिले। इस मामले में 21 जनवरी 2008 में सीबीआई की विशेष अदालत ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।