सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो बलात्कार मामले में 11 दोषियों की रिहाई को दी गई चुनौती पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर ये दोषी माफी के योग्य कैसे बने। इन्हें पिछले साल गुजरात सरकार द्वारा रिहा कर दिया गया था। इनपर 2002 के गुजरात दंगों के दौरान हत्या के 14 3 सामूहिक रेप का दोषी के मामले दर्ज हुए थे। जस्टिस बी वी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने बिलकिस बानो के वकील और केंद्र, गुजरात सरकार और जनहित याचिका याचिकाकर्ताओं के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद दोषियों को दी गई छूट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या सवाल उठाया?
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानों के मामले में सजायाफ्ता लोगों की रिहाई पर पूछा कि आखिर इन्हें रिहाई मिल कैसे गई? कोर्ट ने कहा कि हम सजा में छूट खिलाफ नहीं हैं, क्योंकि कानून में इसे स्वीकार किया गया है, लेकिन यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि ये दोषी कैसे माफी के योग्य बने?
रिहाई को चुनौती देने वाली बिलकिस बानो द्वारा दायर याचिका के अलावा सीपीआई (एम) नेता सुभाषिनी अली, स्वतंत्र पत्रकार रेवती लौल और लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा सहित कई अन्य ने इसे कोर्ट में चुनौती दी थी। टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी दोषियों को सजा में छूट और समय से पहले रिहाई के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है।
बिलकिस बानो के साथ 21 साल की उम्र में बलात्कार किया गया था, उस वक़्त वह पांच महीने की गर्भवती थीं, जब गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद भड़के सांप्रदायिक दंगों के डर से भागते समय उनके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। उनकी तीन साल की बेटी दंगों में मारे गए परिवार के सात सदस्यों में से एक थी।