Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसी के साथ एसआईआर की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई मंगलवार को है। इसका चुनाव पर असर पड़ने की संभावना नहीं है क्योंकि संविधान का अनुच्छेद 329 चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद न्यायिक हस्तक्षेप को सीमित करता है। चुनाव आयोग ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में चुनावी कार्यक्रम की घोषणा की।
बिहार विधानसभा चुनाव दो फेज में होगा। पहले फेज 6 और दूसरा 11 नवंबर को होगा। चुनावी नतीजे 14 नवंबर को आएंगे। पहले फेज के लिए अधिसूचना 10 अक्टूबर को और दूसरे फेज के लिए 13 अक्टूबर को जारी की जाएगी। एक बार चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाने के बाद अदालतें आमतौर पर हस्तक्षेप नहीं करतीं। अनुच्छेद 329 चुनावी मामलों में अदालतों के हस्तक्षेप पर रोक लगाता है।
क्लॉज (A) में कहा गया है कि सीटों के परिसीमन या आवंटन से संबंधित किसी भी कानून की वैधता पर अदालत में सवाल नहीं उठाया जा सकता, जबकि क्लॉज (B) में प्रावधान है कि किसी चुनाव को केवल विधानमंडल द्वारा पारित कानून द्वारा निर्धारित तरीके से दायर चुनाव याचिका के माध्यम से ही चुनौती दी जा सकती है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 80 के तहत उम्मीदवार या मतदाता द्वारा ऐसी याचिकाएं परिणामों की घोषणा के 45 दिनों के अंदर संबंधित हाईकोर्ट में दायर की जा सकती हैं।
1952 से सुप्रीम कोर्ट लगातार यह मानता रहा है कि अनुच्छेद 329(B) में चुनाव शब्द अधिसूचना जारी होने से लेकर परिणामों की घोषणा तक की पूरी प्रक्रिया को संदर्भित करता है। एनपी पोन्नुस्वामी बनाम रिटर्निंग ऑफिसर (1952) मामले में कोर्ट ने मद्रास हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाकर्ता की याचिका खारिज कर दी थी जिसमें कहा गया था कि वह रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा उसके नामांकन पत्र को खारिज करने के मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 329(B) में चुनाव शब्द पूरी चुनाव प्रक्रिया को कवर करता है।
ये भी पढ़ें: बिहार में वोटिंग के दौरान बुर्के में आने वाली महिलाओं की जांच होगी या नहीं?
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
फिर भी बिहार एसआईआर पर अपनी पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि आखिरी मतदाता सूची का प्रकाशन, किसी भी अवैधता के पाए जाने पर न्यायिक जांच को रोक नहीं पाएगा। जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ताओं से कहा, “इससे हमें क्या फर्क पड़ता है? अगर हम इस बात से संतुष्ट हैं कि कोई अवैधता हुई है।”
एडीआर की तरफ से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने बेंच से अगली सुनवाई में तेजी लाने का आग्रह किया था और कहा था कि फाइनल रोल 30 सितंबर को पब्लिश किए जाने थे। इस आश्वासन के अलावा, चल रही चुनाव प्रक्रिया के दौरान न्यायिक दखल काफी दुर्लभ है। इस सिद्धांत को कई फैसलों में दोहराया गया है। इसमें लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद के चुनावों से संबंधित 2023 का एक फैसला भी शामिल है।
यहां जस्टिस विक्रम नाथ और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने कहा था कि कोर्ट केवल तभी हस्तक्षेप करने के लिए बाध्य हैं जब कार्यकारी कार्रवाई बिना किसी औचित्य के उम्मीदवारों या दलों के बीच समान अवसर को बाधित करती है। उन्होंने कहा कि अदालतें बिना किसी देरी के चुनाव सुनिश्चित करने के लिए हाथ-से-हाथ रखने का रवैया अपनाती हैं।
चुनाव आयोग ने जारी की फाइनल लिस्ट
बिहार में 24 जून से शुरू हुए एसआईर प्रोसेस के तहत सभी 7.89 करोड़ रजिस्टर्ड वोटर्स को रजिस्टर रहने के लिए 25 जुलाई तक गणना फॉर्म जमा करने थे। 2003 के बाद जब लास्ट इंटेंसिव रिवीजन किया गया था, वोटर लिस्ट में शामिल होने वालों से उनकी नागरिकता साबित करने के लिए उनकी डेट ऑफ बर्थ और प्लेस ऑफ बर्थ से संबंधित डॉक्यूमेंट पेश करने को कहा गया था। 30 सितंबर को पब्लिश की गई आखिरी लिस्ट में 7.42 करोड़ वोटर थे। इनमें से 68.5 लाख नाम हटाए गए और 21.53 लाख जोड़े गए। अब इसी लिस्ट के आधार पर नवंबर में चुनाव होंगे।
ये भी पढ़ें: नेपाल से शादी कर भारत आई इन बेटियों का हक SIR में क्यों छिन गया?