भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि उन्होंने कभी भी नीतीश कुमार को खराब मुख्यमंत्री नहीं बताया लेकिन ‘राजनैतिक महत्वाकांक्षा’ की वजह से जनादेश के खिलाफ भाजपा के साथ संबंध विच्छेद करके बिहार को उथल-पुथल की ओर धकेल दिया।

सुशील मोदी ने यहां एक निजी चैनल के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘अगर वह 10 बार कान पकड़कर उठक-बैठक भी करते हैं तो भी साल 2010 के जनादेश के खिलाफ भाजपा के साथ संबंध विच्छेद करके राज्य को उथल-पुथल की ओर धकेलने के लिए उन्हें बिहार की जनता कभी माफ नहीं करेगी।’’

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के बारे में मोदी ने कहा कि वह उन्हें उनकी पत्नी राबड़ी देवी से अधिक समय से जानते हैं और पूरी प्रतिबद्धता के साथ कह सकते हैं कि वह अपना तरीका नहीं सुधारेंगे। मोदी ने कहा, ‘‘राबड़ी देवी ने उन्हें शादी के बाद जाना लेकिन मैं उन्हें छात्र राजनीति के दिनों से जानता हूं। मैं पूरी प्रतिबद्धता के साथ कह सकता हूं कि वह अपना तरीका नहीं सुधारेंगे।’’

नीतीश कुमार के बारे में उनकी क्या धारणा है यह पूछे जाने पर सुशील मोदी ने लालू प्रसाद की एक टिप्पणी को उधार लेते हुए कहा, ‘‘ऐसा कोई बचा नहीं जिसे कुमार ने ठगा नहीं।’’

यह पूछे जाने पर कि भाजपा जन अधिकार पार्टी के नेता और सांसद पप्पू यादव के प्रति क्यों नरम है और क्या उनकी पार्टी सरकार बनाने के लिए उनकी मदद लेगी तो मोदी ने कहा कि यह एक काल्पनिक सवाल है।

मोदी ने कहा, ‘‘हमारा 185 से अधिक सीटें जीतने का बेहद स्पष्ट लक्ष्य है और बिहार में एक स्थिर सरकार का गठन करना है। हम सहयोगी दलों की मदद से सरकार का गठन करेंगे और किसी भी सहायता की आवश्यकता नहीं होगी।’’

यह पूछे जाने पर कि नरेंद्र मोदी के मुद्दे पर नीतीश कुमार के भाजपा नेताओं के लिए रात्रिभोज को रद्द कर देने और उस समय उन्होंने क्यों इसपर तीखी प्रतिक्रिया नहीं व्यक्त की थी, मोदी ने कहा, ‘‘सरकार में मंत्री होने के नाते मैं कैसे विरोध कर सकता था। लेकिन आप किसी से भी पार्टी के भीतर इस बारे में मेरी प्रतिक्रिया पूछ सकते हैं।’’

यह पूछे जाने पर कि उन्होंने उस प्रकरण को लेकर नीतीश कुमार के साथ संबंध तोड़ने के लिए उस वक्त क्यों काम नहीं किया तो उन्होंने कहा, ‘‘अकेले इस तरह का फैसला करने की मेरी औकात नहीं थी। जद (यू) के साथ गठबंधन का फैसला भाजपा संसदीय बोर्ड ने किया था जिससे हम सब बंधे थे।’’

उन्होंने कहा कि पार्टी ने अपने गुस्से को पीकर गठबंधन को जारी रखने का फैसला किया ताकि लालू प्रसाद सत्ता में नहीं आ सकें।