अर्जुन भवन। पूर्णिया में दोमंजिला बिल्डिंग। इन दिनों लगभग सुनसान पड़ा है। न कार्यकर्ता और न प्रचार की गाडि़यां। बस ऑफिस का एक स्टाफ अकेला बैठा हुआ। अपनी पार्टी के उम्मीदवारों से जुड़ी हर जानकारी से लैस। जिसे जानकारी चाहिए, उसे देने के लिए तैयार। यह पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी के मुख्यालय का सीन है। अर्जुन भवन उनका घर भी है और पार्टी का दफ्तर भी।
पूर्णिया कभी पप्पू यादव का गढ़ हुआ करता था। वह दो बार यहां के सांसद और कई बार विधायक रह चुके हैं। लेकिन इस विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी नई पार्टी के केवल चार उम्मीदवार उतारे हैं। पूर्णिया सदर और धमदाहा को छोड़ कर बाकी दो सीटों पर उनके उम्मीदवार रेस में भी नजर नहीं आ रहे।
पूर्णिया में लोग पप्पू यादव को तो पसंद करते हैं, लेकिन वह खुद मैदान में नहीं हैं। अगर वह चुनाव लड़ रहे होते तो लोग उन्हें वोट भी देते। लेकिन उनकी पार्टी के लिए वोट देने की बात पर लोग असमंजस में हैं। टैक्सी ड्राइवर अखिलेश बताते हैं, ‘यहां तो 2009 में पप्पू यादव की मां भी चुनाव हार गई थीं।’ एक चाय की दुकान पर चल रही चुनावी चर्चा का लब्बोलुआब भी यही निकला कि पप्पू यादव धारा के विपरीत चल रहे हैं। मुकाबला भाजपा और महागठबंधन में है। इनमें से किसी के साथ जो नहीं है, उसके लिए कोई उम्मीद नहीं है।
पप्पू यादव के दो उम्मीदवार महागठबंधन के वोटों का बंटवारा करा सकते हैं। इनमें से एक हैं अरविंद कुमार उर्फ बोला सा। वह युवा हैं। नर्सरी चलाते हैं। खुद को सामाजिक कार्यकर्ता बताते हैं। वह पूर्णिया सदर से लड़ रहे हैं। यह इलाका सीमांचल का कारोबारी केंद्र है। यहां भाजपा को अरविंद की उम्मीदवारी से वोट कटने का डर है। भाजपा ने यहां से विजय खेमका को उम्मीदवार बनाया है। वह पैसे वाले हैं। मौजूदा विधायक किरण केसरी का टिकट काट कर उन्हें उम्मीदवार बनाया गया है। किरण तीन बार भाजपा विधायक रह चुके राज किशोर केसरी की पत्नी हैं। राज किशोर की 2011 में हत्या कर दी गई थी। केसरी और खेमका, दोनों ही बनिया जाति के हैं। पप्पू यादव का मानना है कि बनिया और मारवाड़ी वोटर्स का एक तबका केसरी का टिकट कटने से खफा है। वे कांग्रेस के वोटर्स भी नहीं है। ऐसे में वे जन अधिकार पार्टी का रुख कर सकते हैं। यहां महागठबंधन की ओर से कांग्रेस के जिला अध्यक्ष इंदु सिन्हा उम्मीदवार हैं।
धमदाहा में पप्पू यादव ने पूर्व आरजेडी एमएलए दिलीप यादव को उम्मीदवार बनाया है। जेडीयू ने मौजूदा विधायक लेसी सिंह पर ही दांव चला हे। लेसी नीतीश सरकार में मंत्री भी थीं। धमदाहा जेडीयू की सीट मानी जाती है। लेकिन दिलीप यादव यहां भी महागठबंधन के वोटों में बंटवारा करा सकते हैं। एनडीए की ओर से यहां आरएलएसपी (उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी) के शिव शंकर ठाकुर उम्मीदवार हैं।
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