बिहार में राज्यसभा की छह सीटों पर चुनाव होना है। राम जेठमलानी की मौत की वजह से एक सीट खाली हो चुकी है। पांच अन्य सीट अप्रैल में खाली होने वाली है। जो सीटें खाली होनी है, फिलहाल उस सीट से जदयू के हरिवंश, कहकशां परवीन और रामनाथ ठाकुर तथा भाजपा के सीपी ठाकुर और आरके सिन्हा सांसद हैं।
राज्य विधानसभा की मौजूदा स्थिति को देखें तो सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के पास तीन-तीन सीटों पर जीत हासिल करने की क्षमता है। इसी को देखते हुए राज्य में विपक्षी गठबंधन में शामिल कांग्रेस पार्टी ने राजद से एक सीट की मांग की है। कांग्रेस ने ‘एक मेरी और दो तेरी’ का प्रस्ताव राजद के सामने रखा है। कांग्रेस ने इस बाबत अपने गठबंधन सहोयोगी को पत्र लिखकर याद दिलाया कि लोकसभा चुनाव 2019 के समय राजद ने ऐसा करने का वादा किया था।
243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में सत्ताधारी जेडीयू के पास 70, बीजेपी के पास 54 और लोजपा के पास 2 विधायक है। वहीं विपक्षी राजद के पास 80 और कांग्रेस के पास 26 विधायक है। सीपीआई (एमएल) के पास 3, हम के पास 1 और एआईएमआईएम के पास 1 विधायक है। पांच निर्दलीय विधायक हैं। वहीं महीषी सीट खाली है।
राज्यसभा में एक सीट जीतने के लिए कम से कम 35 विधायक चाहिए। ऐसे में परिदृश्य साफ है कि दोनों गठबंधन तीन-तीन सीटों पर जीत हासिल कर सकती है। इस स्थिति में सत्तारूढ़ बीजेपी-जेडीयू को दो सीटों का नुकसान उठाना पड़ेगा। अपने पार्टी के दो नेताओं को राज्यसभा में जिताने के बाद भी राजद के पास कांग्रेस को मदद करने की क्षमता है। कांग्रेस ने राजद से कहा है कि वह अपने ‘सरप्लस’ वोट उसे ट्रांसफर कर दे।
दरअसल एक सीट पर जीत के लिए कितने विधायकों की जरूरत होती है, इसका सीधा फार्मूला है: [(विधायकों की संख्या X 100) / (खाली सीट + 1)] + 1. एक विधायक के वोट का मान 100 होता है। उदाहरण को तौर पर यदि राज्य में विधायकों की कुल संख्या 140 है और तीन सीटों के लिए चुनाव होना है। एक पार्टी के पास 100 सीट है और दूसरे के पास 40 सीट। ऐसे में दोनों पार्टियां तीन-तीन उम्मीदवारों को मैदान में उतार सकती है। लेकिन एक उम्मीदवार को जीतने के लिए [(140 X 100) / (3 + 1)] + 1= 3501 वोट चाहिए अर्थात 36 विधायकों का समर्थन चाहिए।
कांग्रेस में राज्यसभा जाने के लिए कई दावेदार लाइन में लगे हैं। लेकिन इनमें वरिष्ठ नेता तारिक अनवर और पूर्व सांसद निखिल कुमार की संभावना ज्यादा बताई जा रही है। हालांकि आने वाले दिनों में विधानसभा चुनाव और सामाजिक समीकरण को देखते हुए पार्टी मुस्लिम या दलित चेहरे को भी प्रत्याशी बनाने पर विचार कर सकती है।
वहीं राजद किसी सवर्ण को राज्यसभा भेज सकती है। ऐसा अनुमान इस वजह से भी लगाया जा रहा है क्योंकि सवर्ण वोटबैंक में बढ़त बनाने के लिए पार्टी ने हाल में राजपूत बिरादरी से आने वाले जगदानंद सिंह को प्रदेश अध्यक्ष बनाया है। हालांकि ये भी अनुमान है कि पार्टी शरद यादव को राज्यसभा भेज सकती है।
वहीं दूसरी ओर जदयू अपने दो नेताओं को सदन में भेजना चाहती है लेकिन भाजपा एक को लेकर दबाव बना सकती है। लेकिन यदि संख्या ज्यादा होने की वजह से जदयू अपने दो नेताओं को ऊपरी सदन भेजने की जिद्द पर अड़ी रही तो भाजपा को सीपी ठाकुर या आरके सिन्हा किसी एक को बैठाना पड़ सकता है।