बिहार में राष्ट्रीय स्तर के तैराक को सरकार के उदासीन और उपेक्षित रवैए के कारण चाय बेचकर अपने परिवार का गुजारा करना पड़ रहा है। वह कई प्रतिस्पर्धाओं में मेडल्स जीत चुके हैं। उन्होंने अपनी गरीबी के चलते कई बार सरकार के पास नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। मजबूर होकर उन्होंने चाय की बक्सर जिले के काजीपुर के नयातोला में चाय की एक छोटी सी दुकान खोल ली।
सपना अंतरराष्ट्रीय स्तर के तैराक बनने का था : गोपाल नाम के इस खिलाड़ी का सपना अंतरराष्ट्रीय स्तर का तैराक बनना था। उन्होंने अपने बच्चों को भी इसका प्रशिक्षण दिया। वे भी अच्छे तैराक हैं। लेकिन आर्थिक स्थिति कमजोर होने और कहीं से कोई मदद नहीं मिलने पर वह निराश हो गए। उन्होंने अब अपने बच्चों सनी और सोनू कुमार को भी तैराकी करने से मना कर दिया। गोपाल ने अपनी चाय की दुकान का नाम ‘नेशनल स्वीमर टी स्टॉल’ रखा है। उन्होंने बताया कि यह नाम इसलिए रखा है ताकि दूसरे तैराक भी इससे सबक ले सकें।
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Bihar:National level swimmer Gopal Yadav,who had won several medals,runs tea shop in Kazipur,Patna,to make a living,says,’I had applied at few places for job but everyone wanted bribe.I have 2 sons,both are good swimmers but they gave up swimming after seeing my condition'(20.11) pic.twitter.com/wT9SvVM0ZK
— ANI (@ANI) November 20, 2019
नौकरी के लिए किया आवेदन, पर नहीं मिली : 1987 में गोपाल ने पहली बार कोलकाता में हुई राष्ट्रीय तैराकी प्रतिस्पर्धा में बिहार का प्रतिनिधित्व किया था। फिर उन्होंने 1988 और 1989 में केरल में आयोजित राष्ट्रीय तैराकी प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। उन्होंने 1988 में बीसीए दानापुर में आयोजित राज्य चैंपियनशिप में 100 मीटर बैकस्ट्रोक प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल किया था। 1990 में वह डाक विभाग में नौकरी के लिए साक्षात्कार देने गए लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिली। हालांकि आजकल वह गंगा नदी में तैराकी सिखाते हैं।
दूसरे तैराकों को भी पहले नौकरी तलाशने को दी सलाह : गोपाल का कहना है कि जिस स्थिति से वह गुजर रहे हैं, उस स्थिति से दूसरे तैराक नहीं गुजरें। उन्हें पहले से ही अपनी जीविका के लिए कुछ अन्य साधन तलाश लेनी चाहिए। सरकारी और निजी तौर पर तैराकी करने वालों की स्थिति बहुत खराब है। राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धाओं में बड़े मेडल जीतने के बाद भी उनको कोई मदद नहीं मिल रही है।