बिहार की राजनीति में उठापटक थमने का नाम नहीं ले रही है। एलजेपी की टूट से इसकी शुरुआत हुई और अब यह नीतीश के खेमे तक जा पहुंची है। हालिया घटनाक्रम में बिहार के मंत्री मदन साहनी ने इस्तीफा दे दिया है। उनका कहना है कि ऐसा मंत्री बनकर क्या फायदा जहां लोगों की कोई मदद ही वो नहीं कर पा रहे हैं।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में साहनी ने कहा कि न तो उन्हें सरकारी घर का लालच है और न ही वीआईपी गाड़ी का। उन्होंने अफसरों के रवैये पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब सरकार में उनकी बात कोई सुन ही नहीं रहा है तो वो मंत्री रहकर भी क्या करें। लोग उनके पास अपनी तकलीफें लेकर आते हैं, लेकिन वो उनकी मदद ही नहीं कर पाते। ऐसा मंत्री बनना भी किस काम का? खास बात है कि बिहार में बड़े पैमाने पर हुए सरकारी अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग के बाद ये सियासी बवाल मचा है।
I'm resigning in objection against bureaucracy. I'm not satisfied with the residence or vehicle I received because if I can't serve people, if officers don't listen to me then work of people won't get done. If their work isn't getting done,I don't need this: Bihar Min Madan Sahni pic.twitter.com/IVFDjokH6A
— ANI (@ANI) July 1, 2021
सूत्रों का कहना है कि तबादलों में अपनी नहीं चलने से नाराज नीतीश कैबिनेट में मंत्री मदन सहनी में मंत्री पद से ही इस्तीफे का ऐलान कर दिया। मदन साहनी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हम लोग बरसों से तानाशाही, यातना झेल रहे हैं लेकिन अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। साहनी ने कहा कि नीतीश सरकार में मंत्रियों का कोई मोल नहीं जबकि अफसर अवैध कमाई कर रहे हैं। साहनी ने नीतीश कुमार के करीबी अफसर चंचल कुमार की संपत्ति जांच की भी मांग की है।
दरभंगा जिले के बहादपुर प्रखंड के एक छोटे से गांव से निकले बहादुरपुर के विधायक मदन सहनी नीतीश सरकार में दूसरी बार मंत्री बने हैं। उनका राजनीतिक करियर दरभंगा जिला परिषद के अध्यक्ष के तौर पर 2008 को आरंभ हुआ। 2010 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी किस्मत आजमाई। बहादुरपुर विधानसभा की जनता ने इन्हें अपना प्रतिनिधि चुना और ये विधानसभा पहुंचे।
2015 में बदले समीकरणों पर हुए चुनावों में इन्हें अपनी गृह विधानसभा छोड़कर बहादुरपुर से ससुराल वाली विधानसभा गौड़ाबौराम जाना पड़ा। यहां से भी ये जीतकर विधानसभा पहुंचे। 2020 के चुनाव में एक बार फिर भाजपा-जदयू साथ हुए और मदन ने अपनी वापसी बहादुरपुर कर ली। यहां से दूसरी बार वे निर्वाचित हुए। तीसरी बार विधानसभा पहुंचे मदन को समाज कल्याण मंत्रालय दिया था।