बिहार में चमकी बुखार से शुक्रवार (21 जून, 2019) शाम तक लगभग 124 से अधिक मासूमों की मौत हो गई। जिलों से लेकर गांवों तक इससे मरने वालों की संख्या और बीमारी का खौफ तेजी से बढ़ रहा है। इसी बीच, वैशाली जिले का हरिवंशपुर गांव तो लगभग खाली ही हो चुका है। जानकारी के मुताबिक, वहां अभी एक भी बच्चा नहीं है। ग्रामीण उन्हें रिश्तेदारों या फिर अन्य जगहों पर लेकर गए हुए हैं।

हाल ही में जब प्रशासनिक अमले को इसकी खबर हुई, तो वे सन्न रह गए। फौरन टीम के साथ ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (बीडीओ) मौके पर स्थिति का जायजा लेने पहुंचीं, पर गांव वाले उन्हीं पर बरस पड़े। ग्रामीणों ने इस दौरान अमले की गाड़ी को भी बंधक बना लिया था, जबकि हालात देखते हुए बीडीओ ने भी उल्टे पांव वहां से भागने में ही भलाई समझी।

लोगों ने अपनी इस नाराजगी के पीछे का कारण बताते हुए स्थानीय मीडिया से कहा कि आज तक गांव में कोई झांकने तक नहीं आया। लोगों की जानें जाती रहीं, पर किसी ने यहां का रुख न किया। अब जब मामला बढ़ गया है, तो ये हाल जानने आए हैं। हालांकि, प्रशासनिक अमले ने गांव पहुंचने पर वॉटर एटीएम लगवाया, जगह-जगह दवाइयां बंटवाईं और बाकी चीजों को लेकर सर्वे भी कराए, मगर ग्रामीण इससे संतुष्ट न हुए।

वैसे, अधिकारियों ने गांव वालों के गुस्से को देखते हुए कई अहम वादे भी किए, जिनमें सरकारी हैंडपंप लगवाने से लेकर पानी के टैंकर मुहैया कराने की बात शामिल है। वहीं, आक्रोशित लोगों का कहना था, “अभी तक कोई नहीं आया था। इतने सारे लोगों की जान चली गई, पर किसी ने हमारी सुध न ली। ये अब क्या करने आए हैं?”

आंकड़ों के अनुसार, सरकार द्वारा संचालित श्री कृष्ण मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल में 101 बच्चों की मौतें हो चुकी हैं, जबकि जिले के केजरीवाल अस्पताल में 20 बच्चों की जान वेक्टर जनित बीमारियों से गई। हालांकि, सीएम ने इस बुखार से मरने वाले बच्चों के परिजन को चार-चार लाख रुपए मुआवजे का भी ऐलान किया है।