बिहार की नीतीश सरकार शराबबंदी को लेकर पटना हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गई है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी। गौरतलब है कि पटना हाई कोर्ट ने 30 सितंबर को बिहार सरकार के शराबबंदी के फैसले को गैरकानूनी ठहराते हुए इस आदेश को निरस्त कर दिया था। वहीं, बिहार सरकार ने 2 अक्टूबर (गांधी जयंती) को नया शराबबंदी कानून लागू किया, जिसमें पहले से ज्यादा कड़े प्रावधान किए गए हैं। नए शराबबंदी कानून में किसी उत्पाद अथवा पुलिस अधिकारी द्वारा इस अधिनियम के तहत किसी व्यक्ति को तंग करने के लिए तलाशी, जब्ती, हिरासत अथवा गिरफ्तार करने पर उसके खिलाफ मुकदमा चलाए जाने का प्रावधान किया गया है तथा दोष सिद्ध होने पर तीन साल का कारावास और एक लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
गौरतलब है कि 30 सिंतबर को पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार के शराबबंदी को ‘गैरकानूनी’ बताते हुए इस आदेश को निरस्त कर दिया था। पटना उच्च न्यायालय ने राज्य में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने संबंधी उसकी अधिसूचना को संविधान के प्रावधानों के अनुरूप नहीं होने का हवाला देते हुए निरस्त कर दिया था। मुख्य न्यायाधीश इकबाल अहमद अंसारी और न्यायमूर्ति नवनीति प्रसाद सिंह की खंडपीठ ने यह फैसला दिया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि पांच अप्रैल को जारी अधिसूचना संविधान के अनुरूप नहीं है इसलिए यह लागू करने योग्य नहीं है।
नीतीश सरकार ने कड़े दंडात्मक प्रावधानों के साथ बिहार में शराब कानून लागू किया था जिसे चुनौती देते हुए ‘लिकर ट्रेड एसोसिएशन’ और कई लोगों ने अदालत में रिट याचिका दायर की थी और इस पर अदालत ने 20 मई को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार ने सबसे पहले एक अप्रैल को देशी शराब के उत्पादन, बिक्री, कारोबार, खपत को प्रतिबंधित किया, लेकिन बाद में उसने राज्य में विदेशी शराब सहित हर तरह की शराब पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया था।