बिहार सरकार ने राज्य में जाति आधारित जनगणना पर अंतरिम रोक लगाने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया। इससे पहले पटना उच्च न्यायालय ने मंगलवार को बिहार सरकार द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें राज्य में जाति गणना और आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं पर सुनवाई जल्द से जल्द करने की मांग की गई थी। चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने कहा था कि सुनवाई 3 जुलाई को होगी।

बिहार सरकार की अपील पर याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा, “उच्च न्यायालय ने अपील खारिज कर दी है और स्पष्ट निर्देश दिया है कि सुनवाई 3 जुलाई से होगी और कोई स्थगन नहीं दिया जाएगा।”

बिहार सरकार की याचिका में क्या था?

राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा कि इन जनहित याचिकाओं में उठाए गए मुद्दों पर अदालत ने अपना अंतिम फैसला दे दिया है. इस कारण इन याचिकाओं पर तीन जुलाई से पहले सुनवाई और अमल किया जाना चाहिए। अदालत ने हालांकि राज्य सरकार की इस याचिका को रद्द कर दिया और सुनवाई की तारीख तीन जुलाई ही तय की है।

इससे पहले 4 मई को पटना हाईकोर्ट ने बिहार में जाति गणना और आर्थिक सर्वेक्षण पर अंतरिम रोक लगा दी थी। मुख्य न्यायाधीश केवी चंद्रन की खंडपीठ ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए राज्य सरकार को इस अवधि के दौरान एकत्र किए गए डेटा को साझा और उपयोग नहीं करने का निर्देश दिया।

राज्य सरकार की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि चूंकि पटना हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार के पास जातिगत जनगणना कराने का वैधानिक अधिकार नहीं है, इसलिए इन याचिकाओं पर 3 जुलाई को सुनवाई करने का कोई कारण नहीं है। कार्यपालिका को जातिगत जनगणना कराने का अधिकार नहीं है। यह बात कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में स्पष्ट की है।