Bihar Vidhan Sabha By-Election/Chunav Results 2019: बिहार की पांच विधान सभा सीटों पर हुए उप चुनाव में सत्ताधारी बीजेपी और जेडीयू गठबंधन को हार का मुंह देखना पड़ा है। पांच में से सिर्फ एक सीट पर ही इस गठबंधन के उम्मीदवार की जीत हो सकी है। दो पर राजद ने जबकि एक पर निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि किशनगंज सीट पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लमीन (AIMIM) ने खाता खोला है। AIMIM उम्मीदवार कमरुल होदा ने बीजेपी प्रत्याशी स्वीटी सिंह को दस हजार से ज्यादा मतों से हराया है। राज्य के मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके की किशनगंज सीट पर AIMIM उम्मीदवार की जीत का मतलब न केवल राजद के माई समीकरण के लिए बल्कि सत्ताधारी दल के मुखिया नीतीश कुमार के लिए भी खतरे की घंटी है।
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बता दें कि मुस्लिम मतदाताओं के बीच भी नीतीश कुमार की छवि लोकप्रिय रही है। बावजूद इसके उनके गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा है, जबकि ये सीट जेडीयू के खाते की ही थी। राजद भी मुस्लिम-यादव के सियासी समीकरण के सहारे राजनीति करती रही है और इस इलाके में उसका दबदबा रहा है लेकिन हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की जीत उसके लिए भी नहीं पचने वाली है। हालांकि, न तो राजद और न ही जेडीयू ने अपने उम्मीदवार यहां उतारे थे। राजद खेमे से सहयोगी कांग्रेस ने साइदा बानू को उम्मीदवार बनाया था लेकिन वो तीसरे नंबर पर रहीं।
2019 के लोकसभा चुनाव में किशनंगज सीट से कांग्रेस के मोहम्मद जावेद ने जीत दर्ज की थी लेकिन AIMIM ने तभी संकेत दे दिए थे कि आने वाले दिनों में वो अन्य दलों को चुनौती दे सकता है। तब AIMIM के लोकसभा उम्मीदवार अख्तरुल इमाम 26.78 फीसदी वोट हासिल कर तीसरे स्थान पर रहे थे। कांग्रेस को 33.32 फीसदी वोट मिला था। दूसरे नंबर पर रहे जेडीयू उम्मीदवार सैयद महमूद अशरफ को 30.19 फीसदी वोट मिले थे।
मौजूदा उप चुनाव में AIMIM उम्मीदवार कमरुल होदा को 41.46 फीसदी वोट मिले जबकि दूसरे नंबर पर रही बीजेपी की स्वीटी सिंह को 35.46 फीसदी वोट मिले। कांग्रेस की सईदा बानू को 14.88 फीसदी वोट मिले। यानी राज्य में सीमांचल इलाके से एंट्री करने वाली AIMIM अगले साल होने वाले विधान सभा चुनावों में और बेहतर प्रदर्शन कर सकती है और राज्य के मुस्लिम मतदाताओं को जेडीयू-राजद के चंगुल से बाहर खींच सकती है। अगर ऐसा हुआ तो बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर हो सकता है। एक और खास बात है कि ओवैसी की पार्टी ने बीजेपी कैंडिडेट को हराया है। यानी भगवा ब्रिगेड पर ओवैसी भारी पड़े हैं।

