बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के बाहर (कोटा या दूसरी जगह) फंसे छात्रों को लॉकडाउन के लिए केंद्र के बनाए नियमों का हवाला देकर नाउम्मीद कर दिया। साथ ही आवासीय इलाकों की दुकानें खोलने में ढील पर भी चुप्पी साध ली। प्रधानमंत्री की मुख्यमंत्रियों के साथ हुई वीडियो कांफ्रेंसिंग के बाद सोमवार शाम को मुख्यमंत्री के आवासीय दफ्तर से जारी प्रेस रिलीज में कहा गया कि दूसरे राज्य कोटा में पढ़ रहे छात्रों को बसें भेजकर बुलवाना नियमों की अवहेलना है। हम केंद्र के नियमों की अनदेखी नहीं कर सकते। यदि केंद्र अपने बनाए कानून में संशोधन करें तो बिहार सरकार विचार कर सकती है। इससे सुशासन बाबू ने केंद्र पर ठीकरा फोड़ अपना पल्ला झाड़ लिया। इसके अलावा उन्होंने कहा कि लॉकडाउन आगे बढ़ाने का निर्णय भी केंद्र सरकार लें, हम सख्ती से पालन कराएंगे।

साथ ही केंद्रीय गृहमंत्रालय के 24 अप्रैल के पत्र पर भी कोई स्थिति साफ नहीं की है। इसमें आवासीय इलाकों की सभी तरह की दुकानें खोलने की इजाजत दी है। बाद में मंत्रालय ने दुकानें खोलने के बारे में राज्य सरकारों के विवेक पर छोड़ दिया। दूसरे कई राज्य तो गृहमंत्रालय के आदेश का पालन कर रहे है। मगर बिहार में इस बाबत कोई फैसला अबतक नहीं हुआ है।

मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि कोरोना संक्रमण बिहार में तेजी से पांव पसार रहा है। इसकी रोकथाम के उपाय के लिए स्वास्थ्य महकमा लगा है। और केंद्र के बनाए नियमों का सख्ती से पालन हो रहा है। फिर भी संक्रमण के आंकड़े में इजाफा  हो रहा है। 22 ज़िलों के 48 प्रखंड इसकी चपेट में आ चुके हैं। राज्य में जांच के छह लैब काम कर रहे है। जांच में तेजी आई है। पल्स पोलियो की तर्ज पर घर-घर सर्वे का काम चल रहा है। अबतक 75 लाख परिवारों के 4 करोड़ लोगों की स्क्रिनिंग की जा चुकी है। राज्य के अधिकारी,  चिकित्सक, पुलिस पूरी मेहनत से अपना काम कर रहे है। इसी का नतीजा है कि मरीज स्वस्थ होकर अपने घर भी जा रहे है। इसके साथ ही दूसरी बीमारी के मरीजों का भी ख्याल रखना पड़ रहा है

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र के आदेशानुसार कृषि कार्य, मनरेगा और मजदूरों के जीविकोपार्जन के लिए छूट दी गई है। यदि केंद्र बाहर फंसे छात्रों को लाने के बारे में लॉकडाउन के कानून में तब्दीली करे, तो सोचा जाएगा। ऐसे जो जहां है उन्हें मदद पहुंचाई जा रही है। दिल्ली बिहार भवन के स्थानिक आयुक्त के जरिए समस्या का निदान किया जा रहा है। वहां करीब एक लाख लोगों ने अपनी दिक्कतें फोन या संदेश भेजकर बताई है, जिनका निराकरण हरसंभव हो रहा है। बाहर फंसे मजदूरों के 25 लाख आवेदन एक हजार रुपए की सहायता के लिए आए है। इनमें से 15 लाख लोगों को एक हजार रुपए खाते में ट्रांसफर किए जा चुके है।