बिहार में जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट को आज विधानसभा में पेश किया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बड़ा ऐलान कर दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि आरक्षण का दायरा 50 फ़ीसदी से बढ़कर 65 फ़ीसदी किया जाना चाहिए। वहीं 10 फीसदी आरक्षण ईडब्ल्यूएस वर्ग के लिए आरक्षित है।

बिहार के एक तिहाई से अधिक परिवार प्रतिदिन लगभग 200 रुपये पर जीवन यापन करते हैं। अनुसूचित जातियों में यह संख्या 43.93% तक है। वहीं 96% एससी के पास कोई वाहन नहीं है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रिपोर्ट को एक मील का पत्थर बताया, जो समावेशी विकास का मार्ग प्रशस्त करेगा। उन्होंने कहा कि इसके निष्कर्षों से पता चलता है कि ईबीसी और ओबीसी आबादी कुल मिलाकर 63% है।

जाति सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार राज्य में लगभग 2.97 करोड़ परिवार रहते हैं, जिनमें से 94 लाख से अधिक (34.13%) प्रति माह 6,000 रुपये या उससे कम पर जीवन यापन करते हैं। ये आंकड़ा बिहार में गरीबी रेखा से नीचे के लिए कट-ऑफ है। अनुसूचित जाति में गरीबी सबसे अधिक है। इसमें 43.93% परिवार बीपीएल में हैं, जबकि ईबीसी में यह संख्या 33.58% है। ओबीसी की स्थिति थोड़ी ही बेहतर है। 33.16% ओबीसी परिवार प्रति माह 6,000 रुपये से कम कमाते हैं।

राज्य में 14% से अधिक लोग कच्चे घरों में रहते हैं, जिनमें से लगभग 15% झोपड़ियों में और अन्य 26% टिन-शेड वाले घरों में रहते हैं। जिन लोगों ने कक्षा 8 तक पढ़ाई की है, वे बिहार की आबादी का 37% से अधिक हैं। उनमें से, 22.67% ने केवल कक्षा 5 तक पढ़ाई की है। अन्य 14.71% ने कक्षा 10 तक पढ़ाई की है। इसका अर्थ है कि राज्य की आधी से अधिक आबादी (लगभग 52%) ने कक्षा 10 या उससे नीचे तक पढ़ाई की है।

11वीं कक्षा तक पढ़ाई करने वालों की संख्या 9.19% है, जबकि 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने वालों की संख्या 7% से अधिक है। ओबीसी में 3.11% और यादवों में 1.55% सरकारी नौकरियों में हैं। राज्य में यादव 14.3 प्रतिशत के साथ सबसे बड़ा समूह हैं। सरकारी नौकरियों में बनियों का प्रतिनिधित्व 1.96% है।

ओबीसी में एक तिहाई परिवार कुल मिलाकर गरीब हैं। यादव परिवारों में से 35.87% गरीब हैं, जबकि कुशवाह और कुर्मियों के लिए ये आंकड़ा 34.22% और 29.62% है। बनियों में गरीबी का प्रतिशत 24.62 है। गरीबी रेखा से ऊपर के 67% ओबीसी परिवारों में से 29% प्रति माह 6,000 रुपये से 10,000 रुपये के बीच कमाते हैं। 10,000 रुपये से 20,000 रुपये के बीच 18% और 20,000 रुपये से 50,000 रुपये के बीच 10% लोग कमाते और लगभग 4% प्रति माह 50,000 रुपये से अधिक कमाते हैं।

ईबीसी में गरीबों की हिस्सेदारी 34.56% है। 29.87% तेली गरीब हैं, कनुस के लिए यह आंकड़ा 32.99%, धानुक के लिए 34.75% और नोनियास के लिए 35.88% है। चंद्रवंशियों और नाइयों में क्रमशः 34.08% और 38.37% गरीब हैं।

उच्च जातियों में भूमिहारों में सबसे अधिक गरीबी (27.58%) दर्ज की गई, उसके बाद ब्राह्मणों (25.3%), राजपूतों (24.89%) और कायस्थों (13.83%) का स्थान आता है। सामान्य वर्ग में 9% 50,000 रुपये से ऊपर कमाते हैं। अन्य समूहों की तुलना में, ऊंची जातियों में बहुत अधिक संख्या में लोग सरकारी नौकरियों में हैं। इनमें 6.68% कायस्थ, 4.99% भूमिहार, 3.81% राजपूत और 3.60% ब्राह्मण हैं। मुसलमानों में 2.5% सैय्यद सरकारी नौकरियों में हैं।

Bihar में जाति सर्वेक्षण के निष्कर्ष

बिहार के 2.97 करोड़ परिवारों में से 94 लाख से ऊपर या 34.13% परिवार बी.पी.एल. श्रेणी में आते हैं। इस श्रेणी में 43.93% एससी परिवार, 33% ईबीसी और ओबीसी परिवार और 25.09% सामान्य श्रेणी के परिवार हैं। 17.26% मुस्लिम परिवार प्रति माह 6,000 रुपये से कम कमाते हैं वहीं
52% आबादी ने 10वीं कक्षा या उससे नीचे तक पढ़ाई की है। सरकारी नौकरियों में 1.55% यादव हैं। 95.49% लोगों के पास कोई वाहन नहीं है।