बिहार में एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। दरअसल एनडीए की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी और जनता दल (युनाइटेड) द्वारा हाल के समय में एक दूसरे के खिलाफ खूब बयानबाजी की गई है। लोजपा ने कहा है कि वह भाजपा के सहयोगी हैं और जेडीयू के नहीं। वहीं जदयू भी लोजपा के बगैर ही बिहार विधानसभा चुनाव में उतरने की हिमायत कर रही है। दोनों पार्टियों के बीच की तनातनी को इसी बात से समझा जा सकता है कि लोजपा ने अपने एक पदाधिकारी को इसलिए पद से हटा दिया क्योंकि उन्होंने एनडीए की एकता को ‘चट्टानी’ करार दे दिया था।
लोजपा नेताओं का आरोप है कि सीएम नीतीश कुमार सहयोगी पार्टी होने के बावजूद लोजपा को भाव नहीं देते हैं। लोजपा नेताओं का कहना है कि सीएम उनके नेता चिराग पासवान के फोन कॉल्स का जवाब नहीं देते हैं और ना ही उन्हें पलटकर फोन करते हैं। यही वजह है कि चिराग पासवान हाल के दिनों में नीतीश सरकार के खिलाफ काफी मुखर रहे हैं।
चिराग ने नीतीश सरकार की आलोचना करते हुए बीते दिनों अपने एक बयान में कहा था कि नीतीश सरकार राज्य के 1 करोड़ 45 लाख बीपीएल लाभार्थियों को राशन कार्ड देने में असफल रही है। प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर भी चिराग, नीतीश सरकार की आलोचना कर चुके हैं।
गौरतलब है कि चिराग पासवान ने बीते दिनों अपनी पार्टी के पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा बात की थी। इस दौरान चिराग पासवान ने पार्टी नेताओं को किसी भी परिस्थिति में चुनाव लड़ने को तैयार रहने को कहा था। पासवान ने ये भी कहा कि उनकी पार्टी केन्द्र में एनडीए की सहयोगी है बिहार में नहीं।
ऐसी खबरें आ रही हैं कि लोजपा ने इस साल होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे के तहत 41 सीटों की मांग की है। इतना ही नहीं राज्यपाल द्वारा मनोनीत होने वाली 12 एमएलसी सीटों पर भी लोजपा ने 5-5-2 का फार्मूला अपनाने की मांग रखी है। यानि कि लोजपा 12 में से दो सीटों पर अपना दावा ठोक रही है। वहीं 5-5 सीटें भाजपा और जदयू को मिल सकती हैं। जबकि इससे पहले जदयू इनमें से 7 और भाजपा 5 सीटों पर अपना दावा पेश कर सकती थी। अब लोजपा की ताजा मांग से बात अटक सकती है।