समायोजित सकल आय (एजीआर) बकाया मामले में उच्चतम न्यायालय ने वोडाफोन को बड़ा झटका दिया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी द्वारा सोमवार को 2,500 करोड़ रुपये तथा शुक्रवार तक 1,000 करोड़ रुपये का सांविधिक बकाया चुकाने का प्रस्ताव ठुकरा दिया। इसके अलावा न्यायालय ने कंपनी के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं किए जाने से भी उसे राहत नहीं दी है।

वोडाफोन की तरफ से अधिवक्ता मुकुल रोहतगी कोर्ट में पेश हुए। मुकुल रोहतगी ने कंपनी की ओर से दिए गए प्रस्ताव में सोमवार तक 2500 करोड़ रुपए का बकाया चुकाने और शुक्रवार तक अन्य 1000 करोड़ रुपए का बकाया चुकाने की बात कही थी। हालांकि न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने वोडाफोन की तरफ से सौंपे गए प्रस्ताव को स्वीकार करने से मना कर दिया।

रोहतगी ने बताया कि कंपनी ने कोर्ट में अनुरोध भी किया कि उसके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई ना की जाए। हालांकि कोर्ट ने इसमें कोई राहत देने से भी इंकार कर दिया। वोडाफोन आइडिया पर अनुमानित 53 हजार करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है। बता दें कि बीते हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को एजीआर (एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) के बकाया भुगतान नहीं करने पर फटकार लगायी थी।

इसके बाद सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों पर सख्त रुख अपनाते हुए शुक्रवार रात 11.59 बजे तक बकाया भुगतान करने के निर्देश दिए हैं। चूंकि वोडाफोन आइडिया लिमिटेड पहले से ही मुश्किलों से घिरी है, ऐसे में कंपनी ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर उक्त प्रस्ताव दिया था। हालांकि कोर्ट ने अब इसे भी नकार दिया है।

गौरतलब बात है कि वोडाफोन आइडिया लिमिटेड ने कहा है कि यदि सरकार उन्हें राहत नहीं देती है तो कंपनी भारतीय बाजार से अपना कारोबार समेटने पर भी विचार कर सकती है। इसके अलावा कंपनी ने दिवालिया कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात भी कही है। बता दें कि यदि वोडाफोन आइडिया लिमिटेड दिवालिया प्रक्रिया में जाती हैं तो कंपनी में काम करने वाले 10 हजार कर्मचारियों की नौकरी पर संकट आ सकता है।

एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार आगाह कर चुके हैं कि यदि कोई भी टेलीकॉम कंपनी दिवालिया प्रक्रिया में जाती है तो इसकी कीमत बैंकों को चुकानी पड़ सकती है क्योंकि उनका कर्ज फंसने की आंशका है।