भूमाता ब्रिगेड की प्रमुख तृप्ति देसाई लैंगिक समानता का अपना अभियान गुरुवार(28 अप्रैल) को मुंबई स्थित प्रसिद्ध हाजी अली दरगाह ले गईं। लेकिन वे अंदर नहीं गईं और वहां उन्हें रोकने के लिए मौजूद प्रदर्शनकारियों से टकराव टल गया। इससे पहले देसाई ने महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर और त्रयंबकेश्वर मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश के अधिकार के मुद्दे पर कामयाबी हासिल की थी। देसाई अपनी साथी कार्यकर्ताओं के साथ दक्षिण मुम्बई में वर्ली तट से दूर एक टापू पर स्थित दरगाह के मुख्य मार्ग तक गईं। कुछ मिनट के बाद वे सभी वहां से चली गईं, क्योंकि उनकी कोशिश को विफल करने के लिए प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए थे।
Activist Trupti Desai and other members of Bhumata Brigade outside Haji Ali Dargah in Mumbai pic.twitter.com/CObrabBiJU
— ANI (@ANI_news) April 28, 2016
दरगाह जाने से पहले उन्होंने मीडिया से कहा कि वह दरगाह के मजार तक जाने के महिलाओं के अधिकार पर बल देने के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अगुवाई कर रही है। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी किसी की धार्मिक भावना आहत करने की मंशा नहीं है। लेकिन वह बस यह पक्का करने की कोशिश कर रही हैं कि महिलाओं को सभी उपासना स्थलों पर उपासना का बराबर हक दिया जाए। साथ ही बताया कि उन्होंने इस लैंगिक समानता अभियान के लिए शाहरूख खान, सलमान खान और आमिर खान जैसी बॉलीवुड हस्तियों का समर्थन हासिल करने के लिए उन्हें भी पत्र लिखा है।
देसाई के अभियानकर्ताओं और विरोधी प्रदर्शनकारियों के बीच टकराव की आशंका के मद्देनजर पुलिस ने पूरे क्षेत्र में बैरीकेड लगा रखे थे। प्रदर्शनकारियों में एआईएमआईएम और समाजवादी पार्टी के लोग भी थे। इससे पहले एआईएमआईएम के एक स्थानीय नेता ने कहा कि वह और उनके समर्थक देसाई को दरगाह की मजार तक नहीं जाने देंगे और यदि वह ऐसा करेंगी तो वे लोग उनके चेहरे पर काली स्याही पोत देंगे। शिवसेना के स्थानीय नेता हाजी अराफात शेख ने देसाई पर राजनीति करने का आरोप लगाया। इस बीच राज्य के राजस्व मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने कहा कि सरकार उच्च न्यायालय के इस फैसले का सम्मान करेगी कि उपासना स्थलों पर महिलाओं के विरूद्ध भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। इस साल फरवरी में महाराष्ट्र सरकार ने हाजी अली दरगाह के अंदर महिलाओं के प्रवेश का समर्थन किया था।
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राज्य सरकार ने तब बम्बई उच्च न्यायालय को बताया था कि या तो दरगाह बोर्ड यह साबित करे कि यह प्रतिबंध कुरान के संदर्भ में उनकी धार्मिक मान्यता का हिस्सा है अन्यथा महिलाओं को हाजी अली दरगाह के अंदर प्रवेश की इजाजत मिलनी चाहिए। दरगाह बोर्ड ने कहा था कि दरगाह में औलिया की मजार है और इस्लाम में महिलाओं के लिए औलिया को छूना गुनाह है इसलिए महिलाओं का मकबरे को छूना भी वर्जित है।
तृप्ति ने हाल में अहमदनगर जिला स्थित शनि शिंगणापुर और नासिक के त्रयंबकेश्वर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के लिए सफल अभियान चलाया।