Bhojshala Kamal Maula Mosque Controversy: मध्य प्रदेश के धार में भोजशाला को हिंदुओं को सौंपे जाने की मांग को लेकर सत्याग्रह शुरू कर दिया गया है। इस सत्याग्रह में धार के आसपास के इलाकों के लोग बड़ी संख्या में शामिल हुए। लोगों का कहना है कि लगातार 51 सप्ताह तक हर मंगलवार को यहां बड़ी संख्या में लोग आएंगे और सत्याग्रह जारी रखेंगे।

सत्याग्रह की यह पहल महाराजा भोज स्मृति बसंत उत्सव समिति की ओर से की गई है। समिति ने कहा है कि भोजशाला को हिंदू समाज को सौंप दिया जाना चाहिए और इसके लिए लगातार एक साल तक अभियान चलाया जाएगा। बताना होगा कि भोजशाला में मंगलवार को हिंदू समाज के लोग पूजा कर सकते हैं जबकि शुक्रवार को यहां दोपहर एक से तीन बजे तक मुस्लिम समुदाय को नमाज करने की अनुमति है।

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मंगलवार को यहां पर धार के आसपास के इलाकों के लोग शामिल हुए। उन्होंने भोजशाला में हनुमान चालीसा का सामूहिक पाठ किया और मां वाग्देवी के दर्शन किए। इसमें पुरुषों के साथ ही बड़ी संख्या में महिलाएं भी मौजूद रहीं।

क्या है विवाद?

भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है जबकि मुसलिम समुदाय 11वीं सदी के इस स्मारक को कमाल मौला मस्जिद बताता है। हिंदू समुदाय के मुताबिक, 1034 में राजा भोज ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। लेकिन 1305 में अलाउद्दीन खिलजी ने यहां हमला किया और मुस्लिम कमांडर दिलावर खान ने भोजशाला के एक हिस्से को दरगाह बनाने की कोशिश की। बाद में महमूदशाह ने भोजशाला पर हमला कर वहां कमाल मौला मस्जिद बना दी। क्योंकि इस स्थल को लेकर विवाद है इसलिए इसकी देखरेख ऑकियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) करती है।

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हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस के जरिए हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की गई है। कोर्ट के आदेश पर एएसआई ने पिछले साल भोजशाला में 90 दिन तक सर्वेक्षण किया था और हाई कोर्ट में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था जहां पर कोर्ट ने आगामी कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।

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शाही जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर हुई थी हिंसा

याद दिलाना होगा कि पिछले साल नवंबर-दिसंबर के महीने में संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वे की मांग को लेकर हिंसा हुई थी और इसमें पांच लोगों की मौत हो गई थी। हिंदू संगठनों ने दावा किया है कि यहां पर हरिहर मंदिर हुआ करता था। इसके अलावा अजमेर की ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के नीचे भी मंदिर होने का दावा हिंदू संगठनों की ओर से किया जा चुका है।

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