मध्य प्रदेश के धार जिले से बड़ी खबर सामने आ रही है। धार भोजशाला को लेकर विवाद मामले में इंदौर हाईकोर्ट ने एएसआई सर्वे का आदेश दिया है। ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष के वकील रहे विष्णु शंकर जैन ने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए कहा कि इंदौर हाई कोर्ट ने उनकी अपील पर सर्वे की इजाजत दे दी है। मां सरस्वती मंदिर भोजशाला के वैज्ञानिक सर्वेक्षण के लिए हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस द्वारा हाईकोर्ट में आवेदन दिया था। हाईकोर्ट ने इस मामले में हिंदू पक्ष की याचिका को स्वीकार कर लिया है।

हाईकोर्ट ने बनाई 5 सदस्यीय कमेटी

हाईकोर्ट ने इस मामले में जांच के लिए 5 सदस्यीय कमेटी भी गठित की है। यह कमेटी सर्वे का काम देखेगी। कोर्ट ने इस मामले में सर्वे पूरा कर 29 अप्रैल तक रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 29 अप्रैल को होगी। बात दें कि हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर करीब एक हजार साल पुरानी भोजशाला में वैज्ञानिक सर्वे कराकर जांच की मांग की गई थी।

क्या है पूरा मामला?

धार जिले की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक राजा भोज (1000-1055 ई.) परमार राजवंश के सबसे बड़े शासक थे। उन्होंने धार में यूनिवर्सिटी की स्थापना की। इसे बाद में भोजशाला के रूप में जाना जाने लगा। इस भोजशाला के मुगल काल में मस्जिद में परिवर्तित कर दिया गया। हिंदू पक्ष इसके सरस्वती मंदिर होने का दावा करता है। इसके सबूत के तौर पर हिंदू पक्ष की ओर से हाईकोर्ट में तस्वीरें भी पेश की गईं। फिलहाल यह भोजशाला केंद्र सरकार के अधीन है और इसका संरक्षण एएसआई करती है। एएसआई ने 7 अप्रैल 2003 को एक आदेश दिया जिसके मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है। वहीं मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत दी गई है।

हिंदू पक्ष की ओर से पेश किए गए सबूत

हिंदू पक्ष की ओर से हाईकोर्ट में कई सबूत पेश किए गए। सरकारी वेबसाइट के मुताबिक मस्जिद में एक खुला प्रांगण है। इसमें चारों ओर स्तंभ मौजूद हैं और एक प्रार्थना गृह है। यहां शिलाओं विष्णु के मगरमच्छ अवतार के प्राकृत भाषा में लिखित दो स्तोत्र हैं। यहां संस्कृत में कई छंद भी लिखे हुए हैं। एक लेख में राजा भोज के उत्तराधिकारी उदयादित्य और नरवरमान की स्तुति की है।