महाराष्ट्र के पुणे जिले में पेरने गांव में बुधवार (1 जनवरी 2020) को जयस्तंभ के पास भीमा कोरेगांव की लड़ाई की 202 वीं वर्षगांठ पर लाखों लोगों के जुटने की उम्मीद है। इसकी वजह से वहां भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। युद्ध स्मारक पर लोग सम्मान प्रकट करने के लिए आते हैं। राज्य के विभिन्न हिस्सों के लोगों ने पहले ही इलाके में डेरा डालना शुरू कर दिया है।

500 महार सैनिकों ने 25000 पेशवाओं को हराया था : दलित कथा के अनुसार भीमा कोरेगांव की लड़ाई में ब्रिटिश सेना के हिस्सा रहे 500 महार सैनिकों ने पेशवाओं (ब्राह्मण) की 25,000 मजबूत सेना को हराया। महार और अन्य समुदायों के लाखों सदस्य 1 जनवरी को जयस्तंभ पर जाकर उनका सम्मान करते हैं। उनका मानना ​​है कि ब्रिटिश सेना में महार सैनिकों ने पेशवाओं की कथित जाति के खिलाफ “आजादी के लिए युद्ध” लड़ा।

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दो साल पहले 200वीं वर्षगांठ पर भड़क उठी थी हिंसा :पहली जनवरी 1927 को डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर जयस्तंभ का दौरा किए थे, जहां उन्होंने ब्रिटिश सेना में महारों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के नियम के खिलाफ भाषण भी दिया था। जयस्तंभ अंबेडकरवादी आंदोलन के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल बन गया है। वहां युद्ध स्मारक पर हर साल 1 जनवरी को जाने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। दो साल पहले 200वीं वर्षगांठ पर इलाके में हिंसा भड़क गई थी। विभिन्न समुदायों के बीच झड़पों में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे। हिंसा के मामलों में कई केस दर्ज किए गए थे, देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली तत्कालीन राज्य सरकार ने एक जांच आयोग का भी गठन किया था।

पिछले साल दस लाख लोग आए थे : पुलिस सूत्रों ने बताया कि हिंसा के एक साल बाद पिछले साल 1 जनवरी को 201वीं लड़ाई की सालगिरह पर राज्य और देश के आठ से दस लाख लोगों ने जयस्तंभ का दौरा किया। इसमें ‘पहली बार आने वाले लोगों’ का एक अनुमानित संख्या शामिल है। इस साल जयस्तंभ पर उससे बड़ी संख्या में लोगों के आने की उम्मीद है। प्रशासन ने उनके लिए कई व्यवस्थाएं की है।