हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में अपनी पहली सीट जीतने के बाद, चंद्रशेखर आज़ाद के नेतृत्व वाली आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) आगामी विधानसभा चुनावों में भाग लेकर उत्तर भारत में अपनी राजनीतिक पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही है। इस दिशा में पहला कदम मंगलवार को उठाया गया, जब आज़ाद ने हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी (JJP) के साथ गठबंधन की घोषणा की। सूत्रों ने बताया कि पार्टी जम्मू-कश्मीर, झारखंड और महाराष्ट्र में भी अपने उम्मीदवार उतारेगी। जम्मू-कश्मीर में हरियाणा के साथ 18 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच मतदान होगा, झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा के कार्यकाल इस साल के अंत में समाप्त होने वाले हैं।

हरियाणा में आजाद समाज पार्टी 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी

सूत्रों ने बताया कि हरियाणा में, ASP 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। मुख्य रूप से अंबाला-पलवल बेल्ट में, जहां दलितों की अच्छी खासी आबादी है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में अपनी पहली सीट जीतने के बाद, चंद्रशेखर आज़ाद के नेतृत्व वाली आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) आगामी विधानसभा चुनावों में भाग लेकर उत्तर भारत में अपनी राजनीतिक पैठ बढ़ाने की कोशिश कर रही है।

इस दिशा में पहला कदम मंगलवार को उठाया गया, जब आजाद ने हरियाणा में विधानसभा चुनावों के लिए दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी (JJP) के साथ गठबंधन की घोषणा की। सूत्रों ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पार्टी जम्मू क्षेत्र की नौ सीटों पर उम्मीदवार उतार सकती है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ बातचीत हुई थी – जिसने अब कांग्रेस के साथ गठबंधन कर लिया है – लेकिन वे कहीं नहीं पहुंचे।

मुख्यधारा के राजनीतिक दल गठबंधन के लिए संपर्क कर रहे हैं

जहां झारखंड में गठबंधन और सीटों के विवरण पर काम किया जा रहा है, वहीं पार्टी महाराष्ट्र में गठबंधन के लिए असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम के साथ बातचीत कर रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “हम हमेशा से जानते थे कि हमें अपने समाज का समर्थन प्राप्त है क्योंकि हम जमीनी स्तर पर काम करते हैं। लेकिन चंद्रशेखर की जीत ने अब अन्य दलों और मतदाताओं को बता दिया है कि हम जीत सकते हैं। कई मुख्यधारा के राजनीतिक दल गठबंधन के लिए हमसे संपर्क कर रहे हैं।”

एक अन्य पार्टी नेता ने कहा कि विभिन्न राज्यों में जमीनी स्तर से पार्टी इकाइयों का गठन करने और चुनाव लड़ने की मांग आ रही थी। ये वे राज्य हैं जहां पार्टी की सामाजिक शाखा भीम आर्मी ने अपना आधार बनाया है। नेता ने कहा, “इसी दबाव के चलते हमने हरियाणा, झारखंड और जम्मू में कदम रखा है। मतदाता और पार्टी कैडर दोनों का मानना है कि हम यूपी के अलावा दूसरे राज्यों में भी एक राजनीतिक ताकत बन सकते हैं।”

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि जेजेपी को उम्मीद है कि वह “अगली बड़ी बहुजन राजनीतिक ताकत” के रूप में उभरेगी। हालांकि, मध्य प्रदेश और राजस्थान में पार्टी के पिछले प्रयास सफल नहीं रहे। हरियाणा में पार्टी का संगठन अपेक्षाकृत नया है, लेकिन उसे हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में यूपी के नगीना निर्वाचन क्षेत्र से जीतने के लिए भाजपा, समाजवादी पार्टी और बीएसपी उम्मीदवारों को हराने वाले आजाद की लोकप्रियता का लाभ उठाने की उम्मीद है।

जेजेपी-एएसपी गठबंधन दलित-जाट वोट बैंक को मजबूत करने की उम्मीद कर रहा है, दोनों समुदाय हरियाणा की आबादी का 45% हिस्सा हैं। हालांकि, इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी)-बीएसपी गठबंधन से कड़ी प्रतिस्पर्धा है जो उसी वोट बैंक को लुभाने की कोशिश कर रहा है। इस पर कुछ लोगों ने आलोचना की है कि जेजेपी-एएसपी गठबंधन कांग्रेस के वोटों में कटौती करेगा, जिसका हरियाणा में पारंपरिक जाट-दलित वोट आधार भी है, और इससे भाजपा को मदद मिलेगी। इस साल मार्च तक जेजेपी हरियाणा में भाजपा के साथ गठबंधन में थी।

आजाद के अनुसार, उनके आधार का विस्तार करने के पीछे एक प्रेरक कारक अनुसूचित जाति (एससी)-अनुसूचित जनजाति (एसटी) उप-वर्गीकरण पर 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट का फैसला था, जिसमें इसे “दलितों के अधिकारों पर हमला” कहा गया था। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, आजाद ने 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को भी उठाया कि एससी/एसटी सदस्य का “अपमान या धमकी” एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत अपराध नहीं है, जब तक कि इसमें व्यक्ति की जाति या जनजाति के बारे में कोई संकेत न दिया गया हो। बाद वाले को “एससी/एसटी अत्याचार अधिनियम पर हमला” कहते हुए, आजाद ने कहा: “दोनों पर, सभी प्रमुख दल चुप रहे।अगर कोई यह कहता है (कि हम कांग्रेस के वोट काट रहे हैं), तो वे बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के संघर्ष को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं।

उन्होंने कहा: “अंबेडकर और कांशीराम दोनों ने अपनी-अपनी पार्टियां बनाईं। क्या कांग्रेस नहीं चाहती कि वंचित वर्ग के लोग राजनीतिक नेता बनें या अपनी खुद की पार्टियां बनाएं? हमारे बुनियादी मुद्दों पर इन पार्टियों ने कुछ नहीं किया। हमारे लोगों के हित के लिए, मुझे जिससे भी गठबंधन करना होगा, करूंगा।” हालांकि, आजाद ने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन का सवाल ही नहीं उठता। “पहली बात जो जेजेपी के साथ बातचीत में हुई थी, वह यह थी कि वह किसी भी परिस्थिति में चुनाव के बाद भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करेगी।”