मध्य प्रदेश में एक शख्स ने आरोप लगाया है कि दलित परिवार के यहां भोजन करने पर ग्राम पंचायत ने उसके और उसके परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया है। इस मामले में पुलिस जांच कर रही है। पुलिस का कहना है कि अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह घटना लगभग एक महीने पहले उदयपुरा के पिपरिया पुआरिया गांव में हुई थी। मंगलवार को जब कलेक्टर ने जन सुनवाई की तो इस घटना का पता चला।
क्या है यह पूरा मामला?
मामला यह है कि दलित समुदाय के संतोष मेहतर के घर में किसी की मौत हो गई थी। मौत के बाद रस्म के तहत दिए जाने वाले भोज में ऊंची जाति के भी तीन लोग शामिल हुए थे।
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आरोप है कि ग्राम पंचायत ने इसके लिए तीनों लोगों के सामाजिक बहिष्कार का आदेश दे दिया। ग्राम पंचायत ने यह भी कहा कि अगर वे बहिष्कार से बचना चाहते हैं तो उन्हें कुछ ‘शर्तों’ को मानना होगा।
‘शर्त’ यह थी कि इन लोगों को भोज का आयोजन करना होगा और नदी में स्नान करना होगा। पुलिस ने बताया है कि तीन में से दो लोगों ने पंचायत की शर्तों को स्वीकार कर ‘प्रायश्चित’ कर लिया जबकि तीसरे शख्स ने जिसका नाम भरत सिंह धाकड़ है, उसने ग्राम पंचायत के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
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क्या कहा शिकायत में?
भरत सिंह धाकड़ ने शिकायत में कहा कि दलित समुदाय के युवक के यहां भोजन करने पर उसके और उसके परिवार के सदस्यों के साथ अछूतों जैसा व्यवहार किया जा रहा है और उन्हें सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेने से भी रोका जा रहा है। हालांकि गांव के सरपंच ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया।
उदयपुरा के तहसीलदार दिनेश बरगले ने बताया कि भरत सिंह धाकड़ ने कलेक्टर को इस बात की जानकारी दी।
धाकड़ ने गांव के सरपंच, उप सरपंच और पंचों के खिलाफ आरोप लगाया है। तहसीलदार ने बताया कि इस मामले की जांच की जा रही है और अगर आरोप सही पाए जाते हैं तो इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।
ग्राम पंचायत ने पारित किया प्रस्ताव
भरत सिंह धाकड़ का कहना है कि उन्होंने और उनके साथी मनोज पटेल और सत्येंद्र सिंह रघुवंशी ने दलित परिवार के वहां भोजन किया था लेकिन इसका पता चलने पर ग्राम पंचायत ने एक प्रस्ताव पारित कर दिया। प्रस्ताव में कहा गया कि दलित के घर भोजन करना गाय की हत्या से भी बड़ा पाप है और जो भी लोग ऐसा करते हैं उन्हें गंगा नदी में स्नान करके और गांव में भोज देकर खुद को शुद्ध करना चाहिए।
धाकड़ का कहना है कि पंचायत के दबाव में आकर मनोज पटेल और सत्येंद्र सिंह रघुवंशी ने गंगा में स्नान किया और फिर भोज भी दिया लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया। इसके बाद उनका और उनके परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया है।
धाकड़ ने यहां तक कहा कि उनके साथ अछूत जैसा व्यवहार किया जा रहा है और उन्हें मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता।
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धाकड़ ने कहा- पिता का पिंडदान करने को कहा
धाकड़ के मुताबिक, जब उन्होंने पंचायत के समक्ष यह बात उठाई तो उनसे कहा गया कि वह अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए अपना सिर मुंडवा लें और अपने पिता के जीवित रहते हुए ही उनके लिए पिंडदान (मौत के बाद की रस्म) करें। हालांकि गांव के सरपंच भगवान सिंह पटेल ने इन आरोपों को पूरी तरह बेबुनियाद बताया है।
उदयपुरा विधानसभा क्षेत्र से नरेंद्र शिवाजी पटेल विधायक हैं और वह मध्य प्रदेश की सरकार में स्वास्थ्य राज्य मंत्री हैं। सरपंच ने बताया कि राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल भी आए और लोगों को समझाने की कोशिश की।
बहिष्कार नहीं हुआ- सत्येंद्र सिंह रघुवंशी
सत्येंद्र सिंह रघुवंशी का कहना है कि उन्हें किसी तरह के बहिष्कार का सामना नहीं करना पड़ा। रघुवंशी ने कहा कि वह जाति व्यवस्था को नहीं मानते इसलिए वह अपने दोस्त संतोष मेहतर के वहां भोज पर गए थे। इस दौरान किसी ने घटना का वीडियो बनाकर वायरल कर दिया जिससे यह विवाद खड़ा हो गया। हालांकि रघुवंशी ने माना कि पंचायत के आदेश के बाद वह इलाहाबाद में अपने गुरु के आश्रम गए और संगम पर स्नान करने के बाद वापस आए।
पुलिस ने कहा है कि हर व्यक्ति को गरिमा और समानता के साथ जीने का अधिकार है।
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