Indian Astronaut Shubhanshu Shukla: इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गए भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अपने दो सप्ताह लंबे अंतरिक्ष अभियान के बाद सोमवार को पृथ्वी पर लौटने वाले हैं। शुभांशु ने रविवार को अंतरिक्ष स्टेशन पर आयोजित फेयरवेल के दौरान कहा कि भारत आज भी सारे जहां से अच्छा लगता है। यह पंक्तियां पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने भी कही थीं। अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले भारतीय शर्मा ने 1984 के अपने स्पेस ओडिसी मिशन के दौरान यह कहा था।

एक्सिओम-4 मिशन विदाई समारोह के दौरान अपनी यात्रा का उल्लेख करते हुए शुक्ला ने कहा कि यह यात्रा अविश्वसनीय और अद्भुत रही। उन्होंने इस यात्रा के लिए अपने साथियों के साथ-साथ नासा, एक्सिओम मिशन के साथ-साथ भारत सरकार और देशवासियों का धन्यवाद दिया। उन्होंने यह भी कहा कि इस यात्रा से मुझे बहुत कुछ अनुभव मिला। मैं यहां से बहुत कुछ लेकर जा रहा है।

15 जुलाई को शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष से घर वापसी होगी। एक्सिओम-4 मिशन के तहत शुभांशु शुक्ला के साथ तीन और अंतरिक्ष यात्री ISS गए थे। इन सभी का 14 दिन का यह टूर पूरा हो गया है। इस दौरान इन सभी अंतरिक्ष यात्रियों ने कई तरह के रिसर्च किए। मालूम हो कि आईएसएस से अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने पीएम मोदी से भी बात की थी।

शुभांशु शुक्ला ने अपने फेयरवेल में हिंदी में दिए संदेश में कहा कि कमाल की यात्रा रही है यह मेरी। अब मेरी यह यात्रा खत्म होने वाली है, लेकिन आपकी और मेरी यात्रा बहुत लंबी है। हमारी स्पेस मिशन की जो यात्रा है वो बहुत लंबी है और बहुत कठिन भी है, लेकिन मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि अगर हम निश्चय कर ले तो यह संभव है।

भारतीय अंतरिक्ष शुभांशु शुक्ला ने आगे कहा कि 41 साल पहले कोई भारतीय अतंरिक्ष में गए थे और उन्होंने हमें बताया था ऊपर से भारत कैसा लगता है। कहीं न कहीं हम सभी यह जानना चाहते हैं कि स्पेस से आज भारत कैसा दिखता है। मैं आपको बताता हूं। आज का भारत स्पेस से महत्वकांक्षी दिखता है, आज का भारत निडर दिखता है। आज का भारत कॉन्फिडेंट दिखता है। आज का भारत गर्व से पूर्ण दिखता है और इन्हीं सब कारणों की वजह से मैं आपसे कहता हूं कि आज का भारत सारे जहां से अच्छा दिखता है। जल्द ही धरती पर मुलाकात करते हैं।

राकेश शर्मा की अंतरिक्ष यात्रा

राकेश शर्मा की यात्रा सोवियत इंटरकोस्मोस कार्यक्रम का एक हिस्सा थी, जिसके तहत 1978 और 1991 के बीच 17 गैर-सोवियत अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजा गया था। राकेश शर्मा ऐसे समय में अंतरिक्ष में गए थे, जब भारत का अपना अंतरिक्ष कार्यक्रम अपनी प्रारंभिक अवस्था में था और इसरो किसी भारतीय को अंतरिक्ष में भेजने के बारे में सोचने से भी दशकों दूर था।

भारत के गगनयान कार्यक्रम के तहत अंतरिक्ष जाने के लिए मूल रूप से चुने गए शुक्ला ने फसल बीज प्रयोग के लिए भी तस्वीरें लीं, जिसमें छह बीजों की किस्मों का अध्ययन शामिल है। इस प्रयोग का उद्देश्य आनुवंशिक विश्लेषण के लिए उपयुक्त पौधों की पहचान करना और अंतरिक्ष में खेती की संभावनाओं का पता लगाना है।

‘आपके नाम में भी शुभ और…’, शुभांशु शुक्ला से PM मोदी की खास बातचीत

आईएसएस में अपने प्रवास के दौरान, चार सदस्यीय दल ने वैज्ञानिक ज्ञान संग्रह अभ्यासों की एक श्रृंखला के लिए संयुक्त रूप से आंकड़े एकत्र करना जारी रखा। इसमें रेड नैनो डोसिमीटर का उपयोग करके विकिरण जोखिम को मापना शामिल था, जो अंतरिक्ष यात्रियों, विशेष रूप से आईएसएस पर लंबे अभियानों में शामिल लोगों की सुरक्षा का आकलन करने के लिए उपयोगी है। अंतरिक्ष में मानसिक और हृदय स्वास्थ्य की समझ को बेहतर बनाने के लिए किए गए परीक्षण, अंतरिक्ष के वातावरण के प्रति मानव शरीर की अनुकूलन क्षमता और कपड़ों के माध्यम से सूक्ष्मगुरुत्व में ऊष्मा स्थानांतरण। इसके अलावा, सूक्ष्मगुरुत्व स्थितियों में मांसपेशियों के नुकसान की भरपाई के लिए संभावित हस्तक्षेपों का पता लगाने के लिए एक न्यूरोमस्कुलर विद्युत उत्तेजना सत्र का भी आयोजन किया गया।

इन दो बाधाओं को पार पाना जरूरी

शुभांशु की वापसी का समय मौसम और तकनीकी कारकों पर निर्भर करेगा, इसलिए इसमें थोड़ा बदलाव भी हो सकता है। वापसी के बाद, वे 7 दिनों के लिए NASA के पुनर्वास कार्यक्रम में रहेंगे, जहां डॉक्टर उनकी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नजर रखेंगे।

पृथ्वी पर लौटने से पहले इन प्रक्रियाओं से गुजरना होगा

सबसे पहले विमान स्पेसक्राफ्ट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से धीरे-धीरे अलग (undock) होगा। इसे अनडॉकिंग करते हैं। यह प्रक्रिया पूरी तरह ऑटोमेटिक होती है लेकिन क्रू इसकी निगरानी करते रहते हैं। अलग होते ही कैप्सूल पृथ्वी की ओर धीमी-धीमी गति से बढ़ेगा फिर कैप्सूल को धीमा करने के लिए रॉकेट फायरिंग होगी। इसे Retrograde Burn कहते हैं। यह इसल‍िए की जाती है ताक‍ि स्पेसक्राफ्ट धरती के गुरुत्वाकर्षण में प्रवेश कर सके। जैसे ही कैप्सूल पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करेगा, वह तेज गर्मी और घर्षण का सामना करेगा। इस समय कैप्सूल की गति लगभग 28,000 किलोमीटर प्रत‍ि घंटा होती है, जो उतरते-उतरते धीरे-धीरे कम होती जाती है। वायुमंडल में घुसने के बाद, पहले छोटे और फिर मुख्य पैराशूट खुलते हैं, जिससे स्पेसक्राफ्ट की गति धीमी होती है और सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित होती है। नासा के मुताबिक, अगर मौसम ठीक रहा, तो वे कैलिफोर्निया के समुद्र तट के पास पानी में उतरेंगे। नासा इसे लाइव दिखाएगा।

शुभांशु शुक्ला कितने बजे पृथ्वी पर लौटेंगे

एक्सिओम स्पेस ने कहा कि Ax4 क्रू जल्द ही स्पेस स्टेशन से अपनी मिशन पूरा करेंगे। अनडॉकिंग (स्पेश स्टेशन को छोड़ना) 14 जुलाई को भारतीय समय अनुसार शाम 4:30 बजे निर्धारित है। लैंडिंग 15 जुलाई को भारतीय समय अनुसार दोपहर 3:00 बजे के आसपास कैलिफोर्निया के पास समुद्र में होगी।

कहां देखें प्रसारण

नासा के एक्स हैंडल पर इसका लाइव प्रसारण देख सकेंगे। यह लाइव प्रसारण 14 जुलाई को दोपहर 2 बजे किया जाएगा जो कि अनडॉकिंग से पहले शुरू हो जाएगा। बता दें. अनडॉकिंग की टाइमिंग 14 जुलाई की शाम 4 बजकर 30 मिनट पर निर्धारित है। अनडॉकिंग का मतलब है स्पेस स्टेशन से अलग होना। इसके अलावा आप टीवी पर भी इसे देख सकेंगे। कौन हैं ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला? पढ़ें…पूरी खबर।