Bharat Bandh Today, 05th March 2019 News Updates: आदिवासी और दलित अधिकार संगठनों ने 5 मार्च को भारत बंद का आह्वान किया था। बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में बंद का हल्का-फुल्का असर देखने को मिला। भारत बंद का आयोजन करने वाले संगठनों/दलों की मांग है कि केंद्र आदिवासियों और दलितों के अधिकारों की रक्षा के लिए दो अध्यादेश लेकर आए जिनपर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का असर पड़ा है। कई बहुजन समूह भी इस बंद का हिस्सा हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी बंद का समर्थन किया है। इस बीच केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेडकर ने दो दिनों में कदम उठाने का निर्देश दिया है।
विभिन्न छात्र और शिक्षक संगठन सरकार से एक अध्यादेश लाने और अध्यापन पदों में कॉलेज या विश्वविद्यालय को एक इकाई के रूप में रखने के लिए 200 सूत्री रोस्टर बहाल करने की मांग कर रहे हैं। वे 13 प्वाइंट रोस्टर का विरोध कर रहे हैं।
केंद्र की तरफ से मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि 200-प्वॉइंट रोस्टर पर अध्यादेश लाने के प्रस्ताव पर कैबिनेट की बैठक में चर्चा होगी। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने ट्वीट कर कहा कि केंद्र सरकार 200-प्वॉइंट रोस्टर लागू करने के लिए अध्यादेश लेकर आएगी। यह भी मांग की जा रही है कि सरकार संविधान में अनुच्छेद 312 के तहत भारतीय न्यायिक सेवाओं की स्थापना करे, ताकि उच्च न्याय व्यवस्था में एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यकों और महिलाओं का समावेश हो सके।
विभिन्न छात्र और शिक्षक संगठन सरकार से एक अध्यादेश लाने और अध्यापन पदों में कॉलेज या विश्वविद्यालय को एक इकाई के रूप में रखने के लिए 200 सूत्री रोस्टर बहाल करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि 13 प्वाइंट रोस्टर से आरक्षित वर्गों के अभ्यर्थियों को नुकसान होगा।
13 प्वाइंट रोस्टर वो प्रणाली है जिससे विश्वविद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्तियां की जानी हैं। हालांकि, एससी-एसटी, दलित और ओबीसी संगठनों द्वारा 200 प्वाइंट रोस्टर के आधार पर नियुक्ति की मांग की जा रही है। 13 प्वाइंट रोस्टर के विरोध में ही 5 मार्च को भारत बंद का आह्वान किया गया है। पहले अध्यापकों की नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय को एक इकाई के तौर पर माना जाता था और आरक्षण के अनुसार अध्यापक पद पर नियुक्तियां दी जाती थीं। लेकिन अब नए नियम के अनुसार, विश्वविद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्ति विभागीय आधार पर की जाएगी। अब विभाग को ही एक इकाई माना जाने लगा है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ''हमारे आदिवासी और दलित भाई-बहन संकट में हैं। प्रधानमंत्री की झूठी कÞसमों और झूठे वादों ने आज उन्हें सड़कों पर उतरने को मजबूर कर दिया है। उनके जंगल और जीवन के अधिकार पर निरंतर हमला हुआ है। वन अधिकार छीने जाने से लेकर संवैधानिक आरक्षण में छेड़छाड़ तक लगातार हमला किया गया है। मैं पूरी तरह से उनके साथ हूँ।''
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को अश्वासन दिया कि केंद्र सरकार शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण रोस्टर बहाल करने को प्रतिबद्ध है और इस संबंध में किसी विरोध प्रदर्शन की जरूरत नहीं है। इस संबंध में छात्रों और शिक्षक संगठनों की ओर से सरकार से आग्रह किया गया है कि शिक्षक पदों में आरक्षण इकाई के रूप में कालेजों एवं विश्वविद्यालयों में 200 प्वाइंट की रोस्टर प्रणाली को बहाल करने के लिये अध्यादेश लाया जाए । जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ कुछ समूहों ने प्रदर्शन करने का निर्णय किया है । मैं उन्हें आश्वस्त करना चाहता हूं कि विरोध प्रदर्शन की कोई जरूरत नहीं है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हम 200 प्वाइंट वाला आरक्षण रोस्टर लायेंगे। इसे कैसे किया जायेगा, इस बारे में स्थिति दो दिनों में स्पष्ट हो जायेगी। ’’
बिहार के मधेपुरा से लोकसभा सांसद और जन अधिकार पार्टी (लो.) के संरक्षक राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने भारत बंद का समर्थन किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, "13 प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ वंचित वर्ग के सामाजिक संगठनों के द्वारा आयोजित भारत बंद का मैं और जन अधिकार पार्टी नैतिक समर्थन करती है। सरकार अध्यादेश लाकर पुराने 200 पॉइंट रोस्टर को लागू करे। वनाधिकार कानून, पेसा कानून को मजबूत करे।"
मंत्रालय ने विश्वविद्यालयों में अध्यापकों के लिए आरक्षण तंत्र पर एक अध्यादेश को कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा है। एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 11 फरवरी को लोकसभा में कहा था कि यदि सरकार की पुर्निवचार याचिका शीर्ष न्यायालय में खारिज हो जाती है तो वह एक अध्यादेश ला सकती है।
लखनऊ में अम्बेडर केंद्रीय विश्वविद्यालय के छात्रों ने विरोध मार्च निकाला। औरंगाबाद में महागठबंधन और रालोसपा ने मिलकर रैली निकाली। जिन दो अध्यादेशों की मांग हो रही हैं, उनमें पहला अध्यादेश आदिवासियों के वन अधिकारों से संबंधित है जबकि दूसरा यूजीसी फैकल्टी के पदों में सही प्रतिनिधित्व सुनिश्चित कराने का है।
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने ट्वीट कर कहा है कि "देश में SC/ST/OBC वर्ग द्वारा 13 प्वॉइंट रोस्टर का विरोध किया जा रहा है एवं 200 प्वॉइंट रोस्टर की मांग की जा रही है। सरकार इसके लिए प्रयत्नशील है। चूंकि, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है, अतः जल्दी ही सरकार 200 प्वॉइंट रोस्टर लागू करने के लिए अध्यादेश लाएगी।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 13-सूत्रीय रोस्टर पर दायर पुनर्विचार याचिका को निरस्त किए जाने का भी विरोध हो रहा है। इसके तहत नियुक्तियों के लिए विभाग को यूनिट माना गया है, विश्वविद्यालय को नहीं। 200-प्वॉइंट रोस्टर में विश्वविद्यालय को यूनिट माना जाता है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि एक अध्यादेश लाने से यह रोस्टर समाप्त हो जाएगा।
राजस्थान के अरवल में विरोध-प्रदर्शन की सूचना है। बिहार की राजधानी पटना में बंद समर्थकों से निपटने को भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया है। पटना-गया रेलरूट पर अभी यातायात सामान्य नहीं हो सका है।
उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाकों में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं। आज के बंद को आम आदमी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल ने भी अपना समर्थन दिया है। लोकतांत्रिक जनता दल के संस्थापक शरद यादव ने ट्वीट कर कहा कि सरकार का रुख सामाजिक न्याय को लेकर सकरात्मक नहीं है।
बिहार के आरा जिले से ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन के 10 से ज्यादा कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया है। उन्हें रेलवे स्टेशन के नजदीक आरपीएफ और जीआरपी ने हिरासत में लिया। जहानाबाद स्टेशन के नजदीक राजद कार्यकर्ताओं ने जनशताब्दी एक्सप्रेस रोक दी। आरजेडी कार्यकर्ताओं ने स्टेशन गेट के पास एनएच 83 पर भी ट्रैफिक रोक रखा है।
मानव संसाधव विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने मीडिया से कहा, "हमारे यहां 200 प्वॉइंट रोस्टर सिस्टम हैं जिसमें यूनिवर्सिटी को एक यूनिट माना जाता है मगर अदालत ने इसके खिलाफ फैसला दिया है और विभागीय रोस्टर के निर्देश दिए हैं। हम इसपर कभी सहमत नहीं हुए इसलिए हमने पुनर्विचार याचिका लगाई जो खारिज हो गई। हम 200 प्वॉइंट रोस्टर के पक्ष में हैं और हम यह देकर रहेंगे। आखिरी कैबिनेट मीटिंग का इंतजार है। सिर्फ दो दिन बाद विश्वविद्यालय समुदाय को न्याय मिल जाएगा।"
"समाजवादी पार्टी भाजपा सरकार द्वारा शिक्षण संस्थानों में लागू आरक्षण विरोधी 13 प्वाइंट रोस्टर प्रणाली के सख़्त विरोध में हैं। दलित, ओबीसी, पिछड़ा, कमज़ोर, वंचित विरोध केंद्रित ये नीति संविधान की उपेक्षा व अवहेलना है।"
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें इस प्रकार हैं: सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान रद्द हो, आदिवासी परिवारों को वनभूमि से बेदखल करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पूरी तरह निरस्त करने के लिए अध्यादेश लाया जाए, उच्च शिक्षण संस्थानों की नियुक्तियों में 13 प्वाइंट रोस्टर की जगह 200 प्वाइंट रोस्टर लागू हो, देश भर में खाली पदों को भरा जाए, पिछले साल 2 अप्रैल के भारत बंद के दौरान बंद समर्थकों पर दर्ज मुकदमे व रासुका हटा कर उन्हें रिहा किया जाए।
"जबतक पासवान जी और नीतीश जी जैसे लोग RSS के पालने में खेलते रहेंगे तबतक संविधान की जगह मनुस्मृति मानने वाले लोग दलितों-पिछड़ों के आरक्षण की सरेआम धज्जियाँ उड़ाते रहेंगे। BJP दिनदहाड़े वंचितो की नौकरियाँ और आरक्षण समाप्त कर रही है और ये उनका गुणगान कर रहे है। मोदी जी द्वारा 13 प्वाइंट रोस्टर के तहत दलितों-पिछड़ों की उच्च शिक्षा में नौकरियाँ समाप्त करने पर रामबिलास पासवान जी प्रधानमंत्री को साधुवाद देकर कह रहे है कि दलितों का आरक्षण समाप्त करके मोदी जी ने 56 नहीं “156” इंच का सीना दिखाया है। वाह चाचा! इतनी चमचई!"
आदिवासी समूहों की मांग है कि कानून के अभाव में सुप्रीम कोर्ट का स्थगन आदेश केवल टेम्प्रेरी व्यवस्था है। उनका कहना है कि केंद्र को एक अध्यादेश लाकर उनके अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर भी भारत बंद का समर्थन कर रहे हैं।
गुजरात, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर राज्यों के आदिवासी इस बंद का हिस्सा होंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर, समाजवादी पार्टी ने प्रयागराज में गंगा गोमती एक्सप्रेस को रोकने की कोशिश की है।
चुनाव से पहले केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा किसी तरह का विवाद नहीं चाहेगी। इकॉनमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, एससी/एसटी फैकल्टी कोटा को पहले की अवस्था में लाया जा सकता है। 6 फरवरी को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में इस अध्यादेश पर चर्चा होगी। इसी बैठक में उच्च शिक्षण संस्थानों में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए 4,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन भी किया जा सकता है।
आज आयोजित बंद में आदिवासी अधिकार आंदोलन, ऑल इंडिया अम्बेडकर महासभा और संविधान बचाओ संघर्ष समिति जैसे संगठन हिस्सा लेंगे। कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी और शरद यादव के दल ने इस आंदोलन का समर्थन किया है।
राष्ट्रव्यापी बंद सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद बुलाया जा रहा है जिसमें शीर्ष अदालत ने आदिवासियों और वनवासियों को बाहर करने का आदेश दिया था। जंगलों की जमीन पर इनके दावों को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं माना था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सप्ताह अपने इस आदेश पर रोक लगाई थी, मगर आदिवासी समूह मांग कर रहे हैं कि एक अध्यादेश लाया जाए।