मुंबई डांस बार मामले में सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई को दौरान राज्य सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। पहले जारी आदेश का पालन नहीं होने पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा था। सोमवार को डीसीपी लाइसेंसिंग को कोर्ट में व्यतिगत तौर पर पेश होने के आदेश दिए गए थे। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, “सड़कों पर भीख मांगने से अच्छा है कि महिलाएं स्टेज पर डांस कर अपना जिंदगी चलाएं।” साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि आप ये नहीं कह सकते कि डांस नहीं होगा। नियंत्रण करने और प्रतिबंध करने में अंतर होता है। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को चेतावनी दी कि वह अपनी हद न भूले और सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विरोध नहीं करे।
कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार कह तो रही है कि वो कायदे बना रही है लेकिन दरहसल वो डांस बार पर प्रतिबंधित लगा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने ASG पिंकी आनंद से कहा कि आप एक सीनियर बार सदस्य हैं, आप राज्य सरकार को बता दीजिए कि जब एक बार सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक दायरे को देखते हुए आदेश पास कर दिया तो फिर राज्य सरकार कैसे आदेश का पालन करने से इनकार कर सकती है। इससे पहले सरकार ने कहा था कि स्कूल से 1 किलोमीटर के दायरे में डांस बार नही खुलने चाहिए इस पर सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से कहा है कि क्या रिहायसी इलाकों में पर शराब की दुकान नहीं है। क्या आप शराब की दुकानों को मुम्बई में बंद कर रहे हैं। इस पर सरकार ने जवाब दिया नहीं। 2005 में डांस बार बंद किर दिए गए थे। बार बंद होने से 75,000 महिलाएं आर्थिक संकट का सामना कर रही हैं।