भगौड़े डायमंड कारोबारी नीरव मोदी के मामले में पीएनबी की तरफ से करवाए गए फोरेंसिक ऑडिट कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई है। बेल्जियन ऑडिटर बीडीओ की फरवरी 2018 में की गई फॉरेन्सिक ऑडिट में सामने आया है कि नीरव मोदी की सात कंपनियां/सहायक इकाइयों में फर्जी आयात, फर्जी लेनदेन, नकली चालान और नकली कर्मचारी रिकॉर्ड रखे जाते थे।

एक व्हिसिल ब्लोअर की तरफ से इंटरनेशन कॉन्सोर्टिम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) ने 329 पेज के अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट सौंपी है। आईसीआईसे ने यह रिपोर्ट इंडियन एक्सप्रेस के साथ शेयर की है। बीडीओ ने एक ज्वेलरी समूह के नाम पर चलाए जा रहे ढकोसले के विस्तृत विवरण दिया है। फाइनल रिपोर्ट को अधिक विवरणों के साथ प्रस्तुत किया गया है।

बेल्जियन ऑडिटर ने नीरव मोदी के मामले में फर्जी आयात, लेनदेन, चार लेटर ऑफ अंडरटेकिंग की रिपोर्ट, 90 लाख डॉलर का पता लगाय है। इन सब के बारे में न तो कोई कस्टम डाटाबेस था और ना ही पीएनबी के कोर बैंकिंग सिस्टम को पता नहीं था। इस लेनदेन में शामिल सभी आयातक और निर्यातकों का नियंत्रण नीरव मोदी के हाथों में था। तीन मामलों में, आयात की जाने वाली सामग्री पर्ल्स और कटे और पॉलिश किए गए हीरे थे।

ऑडिटर ने कहा कि “विसंगति संभावित काल्पनिक लेनदेन को इंगित करती है जहां माल की वास्तविक आवाजाही नहीं हुई है”। कस्टम डेटाबेस से कई डुप्लिकेट चालान (कुल मूल्य 220.7 करोड़ रुपये) मिले और इन्हें भी बीडीओ द्वारा “संभवतः काल्पनिक लेनदेन” के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।

डिजिटल फोरेंसिक यूज और टैली रिकॉर्ड के विश्लेषण से उस समय का का पता चला है कि सैलरी प्राप्त करने वाले कर्मचारियों की संख्या अटेंडेंस रजिस्टर में दिखाए गए कर्मचारियों की संख्या से लगभग दोगुनी है। उसी अवधि के दौरान प्रोडक्शन में कोई असामान्य वृद्धि नहीं हुई है। साथ ही, बिना काम किए अतिरिक्त कर्मचारियों का मूल वेतन अन्य कर्मचारियों के मूल वेतन से लगभग दोगुना है।

अप्रैल 2016 से अक्टूबर 2016 की अवधि में सैलरी खर्च में 83 लाख रुपये की बढ़ोतरी हुई है। ऑडिटर ने पाया कि घोटाले के केंद्र में लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग (LoUs) जिन्हें नीरव मोदी ग्रुप ने बैंक रेगुलेशन को दरकिनार कर हासिल किया था। समीक्षा अवधि (2011-2018) के दौरान, ऑडिटर ने 1,380 LoU का मूल्यांकन किया, जिसकी कीमत 24,991 करोड़ रुपये थी। इनमें से 193 LoU को 5,926 करोड़ रुपये मूल्य के 408 पुराने LoU के निपटान के लिए “गलत” बताया गया। बैंक को भुगतान करने के लिए 6000 करोड़ रुपये मूल्य के 193 LoU का गलत इस्तेमाल किया गया।