भारत सहित तमाम देश क्वांटम में निवेश के लिए पूरा दम झोंक रहे हैं। हालांकि भारत जैसे देशों की दिक्कत यह भी है कि यहां के बेहतरीन दिमाग तो बाहर के देश ले जा रहे हैं। निवेश करने भर से इस क्वांटम की दुनिया में आगे होने का रास्ता नहीं निकलेगा। गूगल जैसी कंपनी ने 2014 में ही क्वांटम पर फोकस कर लिया था और हाल में क्वांटम प्रभुत्व का एक पड़ाव पार भी कर लिया है। जो देश इस तकनीक के लिए संजीदा हैं उन्हें मालूम है कि दो-तीन दशक में ही क्वांटम की सदी की शुरुआत होनी है और इसमें जिसने भी बाजी मार ली उसी की बादशाहत कायम रहेगी।

भारत इस कतार में कहीं आगे खड़ा इसलिए नजर नहीं आएगा क्योंकि गूगल जैसी कंपनियां जिन दिमागों पर ज्यादा भरोसा कर रही हैं उनमें से 50 फीसद तो भारत के ही हैं जिन्हें अपने ही देश में वो माहौल हासिल नहीं जिसमें वो अपना बेहतरीन दे पाएं। अगर अभी नहीं जागे तो अपनी मिट्टी और जमीन का कर्ज उतारने का कोई मौका आने वाली सदी हमें नहीं दे पाएगी।