सुप्रीम कोर्ट मानता है कि टॉप कोर्ट के साथ हाईकोर्ट्स का जज नियुक्त करने के लिए कॉलेजियम सबसे बेहतर सिस्टम है। हालांकि सरकार की तरफ से आलोचना होने पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने माना था कि कोई भी तंत्र अपने आप में परफेक्ट नहीं होता। फिलहाल वो एक ऐसा Concrete Plan लागू करने जा रहे हैं जिससे सुप्रीम कोर्ट के साथ हाईकोर्ट्स में भी जस्टिस बनने के लिए एक कठिन इम्तिहान से गुजरना होगा।
एक रिपोर्ट के मुताबिक सीजेईआई ने कहा कि Centre for planning and research को जिम्मा दिया गया है कि वो उन जजों के फैसलों और कोर्ट प्रोसीडिंग पर तीखी नजर रखे जो जस्टिस बनने लायक हैं। इसमें जजों के फैसलों को सेंटर परखेगा। उनके बारे में भी वो व्यापक पड़ताल करेगा। सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए देश भर के 50 जजों का पूरा परफारमेंस पहले देखा जाएगा। इसके लिए एक डॉजियर तैयार किया जा रहा है।
कॉलेजियम को लेकर सरकार से है सुप्रीम कोर्ट का टकराव
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में नियुक्ति की सिफारिश कॉलेजियम सिस्टम करता है। वो इन्हें सरकार के पास भेजता है। सरकार सिफारिश पर नोटिफिकेशन जारी करती है। उसके बाद से नियुक्ति को प्रभावी माना जाता है। देखा गया है कि कई मसलों में सरकार कॉलेजियम की कई सिफारिशों को दबाकर बैठ जाती है। वो अरसे तक कोई फैसला ही नहीं करती है। ये भी देखा गया है कि कॉलेजियम दोबारा सिफारिश को भेजे तो भी सरकार अनदेखा कर देती है। हालांकि सिफारिशें दबाकर बैठने के लिए सुप्रीम कोर्ट सरकार को चेतावनी जारी कर चुका है पर सरकार के तेवर नहीं बदले।
उड़ीसा के चीफ जस्टिस रहे मुरलीधर को मनमाफिक पोस्टिंग नहीं दे पाया कॉलेजियम
उड़ीसा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रहे एस मुरलीधर इसका जीता जागता उदाहरण हैं। कॉलेजियम चाहकर भी उन्हें मनमाफिक पोस्टिंग नहीं दे पाया। सरकार ने मुरलीधर के केस में की गई सिफारिश को अनदेखा कर दिया। जस्टिस मुरलीधर साल 2021 में उड़ीसा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे और 7 अगस्त, 2023 को रिटायर हुए थे।
उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और किरेन रिजेजु ने की थी सुप्रीम कोर्ट की सरेआम आलोचना
सरकार कहती है कि जजों को भरती और तबादले पर उसका अधिकार होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट जजों को लगाने हटाने की बजाए अपने केसों पर ध्यान दे। कानून मंत्री रहे किरेन रिजेजु सुप्रीम कोर्ट पर खासा तल्ख हुए थे। उन्होंने सार्वजनिक मंचों से कई बार कहा कि जजों को नियुक्त करने के लिए NJAC सिस्टम फुल प्रूफ है। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी कॉलेजियम सिस्टम की वकाल कर चुके हैं। हालांकि बॉम्बे लायर्स एसोसिएशन ने दोनों के खिलाफ जनहित याचिका दायर करके एक्शन लेने की मांग की थी। लेकिन पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया।