आयकर विभाग द्वारा कथित वित्तीय अनियमितताओं को लेकर पूछताछ किए जाने के करीब सालभर बाद बीबीसी ने भारत में अपने न्यूज़रूम से खुद को अलग कर लिया है। कंपनी ने अपने प्रकाशन लाइसेंस को भारतीय कर्मचारियों द्वारा स्थापित एक निजी लिमिटेड कंपनी को सौंप दिया है। दुनिया में कहीं भी सार्वजनिक सेवा प्रसारक के वैश्विक परिचालन में ऐसा पहली बार किया गया है। यह व्यवस्था अगले हफ्ते शुरू हो रहा है। बीबीसी के चार पूर्व कर्मचारियों द्वारा “कलेक्टिव न्यूज़रूम” नामक एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की स्थापना की गई है। इसका भारतीय कार्यालय बीबीसी की डिजिटल सेवाओं के लिए सात भाषाओं हिंदी, गुजराती, मराठी, पंजाबी, तमिल और तेलुगु में संपूर्ण भारतीय सामग्री तैयार करेंगे।

निजी कंपनी में 26 फीसदी हिस्सेदारी के लिए किया आवेदन

बीबीसी ने इस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में 26% हिस्सेदारी के लिए भारत सरकार के पास आवेदन किया है। द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कलेक्टिव न्यूज़रूम की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रूपा झा ने कहा, “बीबीसी के लिए किसी अन्य इकाई को प्रकाशन का लाइसेंस देना अभूतपूर्व है… हम अपनी पत्रकारिता से समझौता नहीं करेंगे और बीबीसी की छत्रछाया पूरी तरह से हमारे ऊपर है।” बीबीसी इंडिया में वरिष्ठ समाचार संपादक रूपा झा कलेक्टिव न्यूजरूम के चार संस्थापक शेयरधारकों में से एक हैं।

बीबीसी के भारत में कामकाज में बदलाव 2020 में आए नए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नियमों की वजह है। इस नियम से भारत के डिजिटल मीडिया क्षेत्र में 26% एफडीआई की सीमा लगा दी गई है। पहले देश में बीबीसी के संपादकीय कामकाज का प्रबंधन बीबीसी इंडिया करती थी। इसका 99 प्रतिशत से अधिक मालिकाना यूके स्थित ब्रॉडकास्टर के पास था। हालांकि, एक बार निवेश सीमा लागू होने के बाद 26 प्रतिशत एफडीआई सीमा से अधिक वाली कंपनियों को अक्टूबर 2021 तक इस विनियमन का अनुपालन करने के लिए अपने विदेशी निवेश को कम करने की जरूरत थी।

बीबीसी का भारत ब्यूरो में लगभग 200 लोग शामिल हैं। यह यूनाइटेड किंगडम के बाहर दुनिया भर में इसका सबसे बड़ा ऑपरेशन है। भारत में इसका प्रसारण मई 1940 में शुरू हुआ था। पिछले साल फरवरी में 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित करने के कुछ दिनों बाद आयकर अधिकारियों ने दिल्ली और मुंबई में इसके कार्यालयों की तलाशी ली थी।