केरल की नेमम सीट फिलहाल हॉटकेक बन चुकी है। हो भी क्यों न। 2016 के असेंबली चुनाव में बीजेपी को केवल इसी सीट पर जीत मिली थी। नेमम को जीतकर बीजेपी ने सूबे की राजनीति में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी। यही वजह है कि बीजेपी के नेता नेमम को केरल का गुजरात कहते हैं। इस बार विरोधी पार्टियां जुगत भिड़ा रही हैं कि कैसे भी बीजेपी को यहां से हराकर सूबे की राजनीति में हाशिए पर ला दिया जाए।
केरल की सत्ता हासिल करने के लिए लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के बीच गलाकाट लड़ाई चल रही है। नेमम को लेकर दोनों पार्टियां अपने सबसे मजबूत उम्मीदवार मैदान में उतारने की तैयारी कर रही हैं। लेफ्ट ने वी. शिवनकुट्टी को यहां अपना उम्मीदवार घोषित किया है तो केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान एम. रामचंद्रन का कहना है कि पार्टी ऐसे नेता को टिकट देगी, जिसे लोग पसंद करते हों।
हालांकि, कुछ अर्सा पहले तक कांग्रेस सांसद शशि थरूर को नेमम की बागडोर सौंपने की तैयारी चल रही थी। कांग्रेस आलाकमान राहुल गांधी भी इससे सहमत बताए जा रहे थे। अलबत्ता अब पार्टी ने फैसला लिया है कि किसी सांसद को असेंबली चुनाव में नहीं उतारा जाएगा। अब थरूर के नाम सीन से गायब हो चुका है। वह तिरुअनंतपुरम से सांसद है और नेमम इसी संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। इसके साथ ही सांसद के मुरलीधरन के नाम को लेकर चल रही कयासबाजी पर भी विराम लग गया है। ओम्मान चांडी और रमेश चेनिथाला के नाम भी इस सीट के लिए सामने आए, लेकिन दोनों नेता यहां से चुनाव लड़ने से गुरेज कर रहे हैं। उनका कहना है कि वह अपने गृह क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने को तरजीह दे रहे हैं।
लेफ्ट के प्रत्याशी वी. शिवनकुट्टी का कहना है कि चांडी और रमेश हार के डर से नेमम का रुख नहीं कर रहे हैं। उनका दावा है कि नेमम की सीट पर लेफ्ट जीतेगा। उधर, बीजेपी यहां से के. राजशेखरन पर अपना दांव खेलने जा रही है। उन्हें संघ का मजबूत नेता माना जाता है। बीजेपी ने चुनावी समीकरणों को अपने पक्ष में करने के लिए केरल कांग्रेस के पूर्व सचिव विजय थॉमस को अपने पाले में खींच लिया है। विजय नेमम से टिकट के तलबगार थे। पार्टी ने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया तो वह बागी हो गए।
केरल की 140 असेंबली सीटों के लिए 6 अप्रैल को एक चरण में मतदान कराया जाना है। 2 मई को वोटों की गिनती होगी। केरल की 14वीं असेंबली का कार्यकाल 1 जून 20121 को खथ्म हो रहा है। 15वीं असेंबली के गठन के लिए सूबे के 2 करोड़ 67 लाख 88 हजार 268 लोग मतदान करेंगे। 2016 के चुनाव में सीपीआई की अगुवाई में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) ने 91 सीटें जीतकर सत्ता हासिल की थी।
बीजेपी ने केरल में पहली बार पिछले चुनाव में अपना खाता खोला था। नेमम सीट से पार्टी के बुजुर्ग उम्मीदवार ओ राजागोपाल ने शानदार जीत हासिल की थी। 2016 के दौरान बीजेपी के पक्ष में 9.97% वोटों का झुकाव देखा गया था। उस चुनाव में रोजागोपाल ने लेफ्ट के वी. शिवनकुट्टी को शिकस्त दी। राजागोपाल को 67,813, शिवनकुट्टी को 59,142 वोट मिले थे। कांग्रेस नीत यूडीएफ ने जेडीएस के वी. सुंदरन पिल्लई को मैदान में उतारा था। वह महज 13,860 वोट ही हासिल कर सके थे।