प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पत्रकार राणा अय्यूब (Rana Ayyub) के 1.77 करोड़ रुपए कुर्क कर लिए थे और ईडी इस मामले में आगे की जांच कर रही है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने आरोप लगाया कि राणा अयूब का न्यायिक उत्पीड़न किया जा रहा है। भारत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए दो टूक कह दिया है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।

दरअसल, यूएन जिनेवा के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया था कि पत्रकार राणा अयूब के खिलाफ न्यायिक उत्पीड़न को तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए। आंतरिक जांच के मामले में संयुक्त राष्ट्र के ‘दखल’ पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। जिनेवा में भारतीय मिशन ने ट्विटर के जरिए इसका जवाब दिया है, जिसमें साफ शब्दों में कहा गया है, “तथाकथित न्यायिक उत्पीड़न के आरोप बेबुनियाद और अनुचित हैं। भारत कानून के शासन को कायम रखता है, वहीं समान रूप से स्पष्ट है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।”

साथ ही भारत की तरफ से कहा गया है कि एक भ्रामक कहानी को आगे बढ़ाना संयुक्त राष्ट्र की प्रतिष्ठा को केवल धूमिल करता है। यूएन द्वारा किसी ऐसे व्यक्ति का समर्थन करने की आवश्यकता पर सवाल उठाया जा रहा है जिसपर धन के दुरुपयोग का आरोप है और भारत में प्रवर्तन निदेशालय इस मामले की जांच कर रहा है।

न्यूज एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि इसके बाद जिनेवा में हमारे स्थायी मिशन की ओर से एक नोट वर्बल जारी किया जाएगा। वे इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में भी उठाएंगे।

यूएन विशेषज्ञों ने कहा कि राणा अयूब ऑनलाइन हमलों और धमकियों का शिकार हो रही हैं। उन्होंने हमलों को देश में अल्पसंख्यक मुसलमानों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर राणा अयूब की रिपोर्टिंग, कोरोना महामारी से निपटने को लेकर सरकार की आलोचना और कर्नाटक में स्कूलों-कॉलेजों में हिजाब पर हालिया प्रतिबंध पर प्रतिक्रियाओं के परिणामस्वरूप होने की ओर इशारा किया। बता दें कि राणा अयूब पर आरोप है कि उन्होंने ऑनलाइन क्राउड फंडिंग के जरिए राहत कार्य के लिए जुटाए गए डोनेशन को निजी खर्च के लिए इस्तेमाल किया गया।