केंद्र सरकार के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में नौ यूनियनों के सम्मिलित संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंकिंग यूनियन ने दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी बैंक हड़ताल का ऐलान किया है। इस दौरान लगभग लगभग 10 लाख कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल में भाग लेंगे। सोशल मीडिया में भी यूजर्स #BankStrike ट्रेंड करा रहे हैं और मोदी सरकार के इस कदम की आलोचना कर रहे हैं।
कर्मचारी संगठनों के हड़ताल से दो दिन सोमवार और मंगलवार को देशभर में बैकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। हड़ताल के चलते बैंक शाखाओं में पैसा निकालने और जमा करने, चेक क्लीयरेंस और ऋण मंजूरी जैसी सेवाओं पर असर पड़ेगा। ऑल इंडिया बैंक इम्प्लॉइज एसोसिएशन (AIBIA) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने 10 लाख बैंककर्मियों के हड़ताल में शामिल होने का दावा किया है।
टि्वटर पर सरकार को घेरते हुए यूजर्स #BankStrike ट्रेंड करा रहे हैं। इस दौरान @idesibanda नाम के एक यूजर ने लिखा ” निजीकरण से भ्रष्टाचार बढ़ेगा और सरकार का फायदा होगा, वाह मोदीजी वाह।” एक अन्य यूजर हंसराज मीना ने लिखा “निजीकरण के विरोध में 15 और 16 मार्च को देशभर में बैंक बंद। तमाम बैंकर्स की देशव्यापी हड़ताल। क्या आप तैयार है? #StopPrivatization”
रनविजय नाम के एक पत्रकार ने लिखा “बैंक कर्मचारी हड़ताल पर हैं, उन्हें समझ नहीं आ रहा कि निजीकरण से फायदा कैसे है. सरकार उन्हें समझा नहीं रही। किसानों को समझ नहीं आ रहा कि कृषि कानून से फायदा कैसे है. सरकार समझा नहीं रही। वहीं, बेरोजगारों की अलग परेशानी है, ये बेचारे सरकारी दावों के फैक्टचेक में खर्च हुए जा रहे।”
बैंक कर्मचारी हड़ताल पर हैं, उन्हें समझ नहीं आ रहा कि निजीकरण से फायदा कैसे है. सरकार उन्हें समझा नहीं रही.
किसानों को समझ नहीं आ रहा कि कृषि कानून से फायदा कैसे है. सरकार समझा नहीं रही.
वहीं, बेरोजगारों की अलग परेशानी है, ये बेचारे सरकारी दावों के फैक्टचेक में खर्च हुए जा रहे.
— Ranvijay Singh (@ranvijaylive) March 14, 2021
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) सहित कई सरकारी बैंकों ने अपने ग्राहकों को सूचित किया है कि यदि हड़ताल होती है, तो उनका सामान्य कामकाज शाखाओं और कार्यालयों में प्रभावित हो सकता है। इसके बावजूद बैंकों ने कहा है कि प्रस्तावित हड़ताल के दिन बैंकों और शाखों में बेहतर तरीके से कामकाज करने के लिए आवश्यक कदम उठा जा रहे हैं।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में एलान किया था कि सरकार ने इस साल दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के निजीकरण का फैसला किया है। सरकार इससे पहले आईडीबीआई बैंक में अपनी ज्यादातर हिस्सेदारी भारतीय जीवन बीमा निगम को बेच चुकी है। पिछले चार साल में सार्वजनिक क्षेत्र के 14 बैंकों का विलय किया जा चुका है।
अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सीएच वेंकटचलम ने कहा कि 4, 9 और 10 मार्च को अतिरिक्त मुख्य श्रम आयुक्त के साथ हुई बैठकें बेनतीजा रही अत: हड़ताल होगी। बिहार की राजधानी पटना में भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के खिलाफ बैंक कर्मचारी हड़ताल पर हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे एक बैंक कर्मचारी ने बताया, “बजट में सरकार ने दो बैंकों के निजीकरण की घोषणा की है, निजीकरण देश के हित में नहीं है।”
ये यूनियन हैं हड़ताल में शामिल –
यूएफबीयू के सदस्यों में ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन (एआईबीईए), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन (एआईबीओसी), नेशनल कंफेडरेशन ऑफ बैंक इम्प्लॉइज (एनसीबीई), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (एआईबीओए) और बैंक इम्प्लॉइज कंफेडरेशन ऑफ इंडिया (बीईसीआई) आदि शामिल हैं। इंडियन नेशल बैंक एम्पलाईज फेडरेशन (आईएनबीईएफ), इंडियन नेशनल बैंक आफीसर्स कांग्रेस (आईएनबीओसी), नेशनल आर्गनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) और नेशन आर्गनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफीसर्स (एनओबीओ) भी हड़ताल की अपील में शामिल हैं।