भाजपा के नए अध्यक्ष पद की दौड़ में रहे नेताओं को पार्टी ने मंगलवार को एक बड़ा झटका दिया है। सारे समीकरण पलटते हुए पार्टी आलाकमान ने पहली बार बतौर निगम पार्षद बने आदेश गुप्ता को दिल्ली की कमान सौंपी है। इस प्रक्रिया में दौड़ में सबसे आगे चल रहे सभी नामों को पीछे छोड़ दिया है। सूत्र बताते हैं कि यह कदम आने वाले दिनों संगठनात्मक टीम को मजबूती देगा। किसी पार्षद को भाजपा ने तीसरी बार जिम्मेदारी दी है।
इस घोषणा ने संगठन व संघ के चेहरे को लेकर चल रही अटकलों पर भी विराम लगाया है। सूत्र बताते हैं कि दिल्ली में एक बार फिर से बनिया राजनीति की शुरुआत करने की कोशिश की गई है। यह कैडर हमेशा से ही भाजपा से जुड़ा रहा है और जब भाजपा को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा है यह वोट बैंक भाजपा के साथ ही नजर आया है। सूत्र बताते हैं कि दिल्ली प्रभारी श्याम जाजू की इस फैसले में अहम भूमिका बताई जा रही है। बताया जा रहा है आदेश गुप्ता ने इनके साथ ही संगठन की सक्रिय राजनीति की और पार्षद भी बने।
दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष की कमान तीसरी बार एक पार्षद के हाथों में होगी। इससे पहले पार्षद रहते विजेंद्र गुप्ता व सतीश उपाध्याय अध्यक्ष पद का कार्यभार संभाल चुके हैं। आदेश गुप्ता पहले मंडल अध्यक्ष व जिला महामंत्री की भूमिका में भी पार्टी का कार्यभार संभाल चुके है। ये छात्र राजनीति से जुड़े रहे हैं।
निगम के चुनाव व बड़े नेताओं को संभालना होगा चुनौती : बतौर प्रदेश अध्यक्ष निगम चुनाव इनके कार्यकाल की पहले चुनौती होगी। ये चुनाव 2022 में होंगे। इस समय सीमा में ही पार्टी को आगे की रणनीति पर काम करना होगा। इससे पूर्व जब निगम के नेताओं को प्रदेश की कमान मिली है।
उसमें सबसे बड़ी परेशानी सभी सांसदों, विधायक व पूर्व विधायकों में तालमेल स्थापित करना रहा है। पूर्व के नेताओं ने भी इस बाधाओं का सामना किया है। निगम चुनाव तैयारियों में भी इनकी भूमिका अहम होती है। कई जगहों पर पहले भी भाजपा नाराजगी की कच्ची वजह से नुकसान उठा चुकी है। यह तालमेल ही चुनाव की चुनौती को आसान बनाएगा।