बांग्‍लादेश की निर्वासित लेखिका तस्‍लीमा नसरीन फिर से सुर्खियों में हैं। उन्‍होंने एक बार फिर से इस्‍लाम धर्म की आलोचना की है। उन्‍होंने सोशल मीडिया में एक फोटो शेयर की है, जिसमें एक व्‍यक्ति चटाई बिछाकर नमाज पढ़ रहा है। वहीं, बारिश होने के कारण एक अन्‍य मुस्लिम व्‍यक्ति छाता लगाए खड़ा है, ताकि नमाज पढ़ने वाला शख्‍स भीगे नहीं। समुदाय के अन्‍य लोग शामियाने के अंदर नमाज पढ़ रहे हैं या खड़े हैं। तस्‍लीमा ने यह फोटो शेयर करते हुए ‘नौटंकी’ लिखा है। उनका ट्वीट सामने आते ही लोगों ने तीखी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त करनी शुरू कर दी। मुस्लिम के साथ हिंदू समुदाय के लोगों ने भी उनकी आलोचना करनी शुरू कर दी। मिहिर ओझा ने लिखा, ‘मैडम मैं एक हिंदू हूं, लेकिन मैं किसी के धर्म या आस्‍था को अपमानित नहीं करता हूं। यह फोटो विचित्र हो सकता है, लेकिन यह उस व्‍यक्ति की आस्‍था है। उन्‍हें अपने तरीके से चलने दीजिए। इसको लेकर इतना हंगामा क्‍यों करना?’ हमजा खान ने लिखा, ‘यह नौटंकी कैसे है, कृपा करके इसे विस्‍तार से समझा दीजिए।’ मोहम्‍मद फैसल ने ट्वीट किया, ‘आप हमेशा मुस्लिम समुदाय की ही आलोचना क्‍यों करती रहती हैं? आप हिंदुओं की आलोचना क्‍यों नहीं करती हैं, इसलिए कि ऐसा करने पर वे आपको भारत से बाहर कर देंगे।’

यह पहला मौका नहीं है जब तस्‍लीमा नसरीन ने धार्मिक मान्‍यताओं पर चोट किया है। तकरीबन दो साल पहले उन्‍होंने इस्‍लाम को मानवाधिकार विरोधी करार दे दिया था। उन्‍होंने रमजान के पवित्र महीने में मुसलमानों द्वारा रोजा रखने पर भी कटाक्ष किया था। तस्‍लीमा ने ट्वीट किया था, ‘मुझे इस्‍लाम से डर लगता है, क्‍योंकि इस्‍लाम मानवाधिकार विरोधी, महिला अधिकार विरोधी और बोलने की आजादी का विरोधी है।’ बांग्‍लादेशी लेखिका ने एक अन्‍य ट्वीट में लिखा था, ‘मैं क्‍यों रोजे रखूं? मैं मूर्ख नहीं हूं।’ उन्‍होंने पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी पर भी कटाक्ष करते हुए ट्वीट किया था, ‘क्‍या ममता ने रोज रखे हैं? बस जानना चाहती हूं।’ तस्‍लीमा नसरीन ने इस साल मार्च में भारत में हिंदू कट्टरपंथ के बढ़ने की बात कही थी। उन्‍होंने एक समाचार पत्र को दिए साक्षात्‍कार में कहा था, ‘मैंने पाया कि भारतीय लोग बांग्‍लादेश, इराक या सऊदी अरब की तुलना में ज्‍यादा धार्मिक और अंधविश्‍वासी होते हैं। ऐसे में इन देशों में ज्‍यादातर लोगों में नास्तिक होने की प्रवृत्ति ज्‍यादा पाई जाती है। लेकिन, हिंदुत्‍व में ज्‍यादा विकल्‍प मौजूद होने के कारण लोगों को नास्तिक होने की जरूरत नहीं पड़ती है। हालांकि, भारत में हिंदुत्‍व कट्टरपंथ बढ़ा है।’