बांग्लादेश की प्रसिद्ध लेखिका और सोशल एक्टिविस्ट तस्लीमा नसरीन को मोदी सरकार से बड़ी राहत मिली है। तसलीमा नसीम का भारत में रहने का रेजिडेंसी परमिट रिन्यू हो चुका है। हालांकि इसको लेकर उन्होंने कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है लेकिन उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह को सोशल मीडिया पर धन्यवाद कहा है।

अमित शाह को तस्लीमा नसरीन ने कहा धन्यवाद

सोमवार को ही तस्लीमा नसरीन ने सोशल मीडिया पर अमित शाह को टैग करते हुए अपना परमिट रिव्यू करने की अपील की थी। तस्लीमा नसरीन ने सोमवार को सोशल मीडिया पर लिखा था कि वह भारत को अपना दूसरा घर मानती है और पिछले 20 सालों से यहां रह रही हैं। उन्होंने कहा कि 22 जुलाई के बाद से उनका रेजिडेंसी परमिट रिन्यू नहीं हो रहा था और वह बेहद चिंतित हैं। अपने ट्वीट को कोट करते हुए तस्लीमा नसरीन ने अमित शाह को धन्यवाद कहा है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि उनका परमिट बढ़ाया जा चुका है।

तस्लीमा नसरीन इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर रही हैं। 1993 में ही उनके खिलाफ एक फतवा जारी किया गया था, जिसके बाद उन्हें बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था। उन्होंने किताब ‘लज्जा’ लिखी थी, जिसके बाद कट्टरपंथियों ने उनके खिलाफ हिंसा का सहारा लिया था। अपनी किताब में उन्होंने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू परिवारों के उत्पीड़न का जिक्र किया था।

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वर्तमान में बांग्लादेश की स्थिति पर भी तस्लीमा नसरीन खुलकर बोलती हैं और वहां की सरकार की आलोचना करती हैं। तस्लीमा नसरीन ने बांग्लादेश की नई सरकार व्यवस्था को अवैध बताया है और शेख हसीना को ही वहां का नेता माना है। तस्लीमा नसरीन स्वीडन की नागरिक हैं क्योंकि उनके पास स्वीडिश नागरिकता है। लेकिन पिछले 20 साल से वह भारत में रह रही हैं।

बता दें कि अगस्त महीने में हिंसक विरोध प्रदर्शन के कारण शेख हसीना को बांग्लादेश छोड़ना पड़ा था। इसके बाद वहां पर नई सरकार का गठन हुआ था। यह अंतरिम सरकार है और मोहम्मद युनूस को सरकार का मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया है। हिंसक प्रदर्शन के दौरान बांग्लादेश में हिंदुओं पर काफी जुल्म हुआ और प्रताड़ित किया गया।