बांग्लादेश में हालात बेकाबू हो चुके हैं, जो किसी ने नहीं सोचा था, वो सब कुछ भारत के पड़ोसी मुल्क में इस समय हो रहा है। बड़ी बात यह है कि शेख हसीना अब बांग्लादेश की प्रधानमंत्री नहीं हैं, वे तो जान बचाकर भारत आ चुकी हैं। अब भारत उन्हें शरण देगा या नहीं, अभी इसे लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है, लेकिन मोदी सरकार के लिए नई टेंशन शुरू हो चुकी है। बांग्लादेश में जैसे हालात हैं, माना जा रहा है कि कई लोग देश छोड़ेंगें, अब छोड़ेंगे तो कहीं तो शरण लेने के लिए आना पड़ेगा।
भारत-बांग्लादेश की सीमा कितनी बड़ी?
अब जानकार मानते हैं कि इस सवाल का जवाब बांग्लादेश के कई लोगों के लिए भारत रहने वाला है। यह जवाब ही मोदी सरकार के लिए एक नई चुनौती है क्योंकि अगर ज्यादा बांग्लादेशी भारत में अवैध तरीके से आ जाते हैं तो सुरक्षा से लेकर ड्रग्स की समस्या खड़ी हो जाती है। समझने वाली बात यह है कि भारत और बांग्लादेश 4096.70 किलोमीटर की अंतरराष्ट्रीय सीमा साझा करते हैं। यहां भी पांच राज्यों के साथ तो बांग्लादेश की सीमा सीधे रूप से जुड़ी हुई है- असम, बंगाल, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम।
इतने साल बीत गए, फेंसिंग का काम अधूरा
अब इस सीमा से तस्करी होती है, आतंकी आते-जाते हैं और अवैध घुसपैठ भी काफी आम रहती है। यह कोई अभी की समस्या नहीं है बल्कि जब से बांग्लादेश आजाद हुआ है, सीमा पार से भारत के लिए खतरा बना रहा है। इस खतरे को देखते हुए ही 1986 में भारत सरकार ने सीमा पर बाड़ बनाने का फैसला किया था। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इतने सालों बाद भी वो फेंसिंग पूरी नहीं हो सकी है। सरकार का ही आंकड़ा बतात है कि अभी तक सिर्फ 3180.65 किलोमीटर लंबाई पर ही बाड़ लग पाई है। पहले कहा गया था कि इस साल मार्च तक 915 किलोमीटर की सीमा पर फेंसिंग पूरी हो जाएगी, वो काम भी बीच में अटका हुआ है।
भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति क्यों नहीं बन सकती?
तस्करी का खेल, करोड़ों का अवैध कारोबार
अब एक तरफ फेंसिंग का काम पूरा नहीं हुआ है, वही दूसरी तरफ भारत-बांग्लादेश सीमा से अवैध वस्तुएं जब्त की जा रही हैं। सरकारी आंकड़े मुताबिक पिछले चार सालों में 8500 करोड़ का अवैध सामान इसी सीमा से जब्त किया गया है। यह बताने के लिए काफी है कि भारत-बांग्लादेश की सीमा कितनी संवेदनशील है। बड़ी बात यह भी है कि बांग्लादेश से सबसे ज्यादा अप्रासी पश्चिम बंगाल और असम में आते हैं।
कितने अवैध बांग्लादेशी?
सरकार के मुताबिक उनके पास कोई आधिकारिक आंकडा़ नहीं है जिससे यह पता चल सके कि कितने बांग्लादेशी अवैध रूप से भारत में आए हैं, लेकिन मंत्रियों के ही कुछ आंकड़े बताते हैं कि स्थिति गंभीर है और संख्या काफी ज्यादा। किरेन रिजिजू ने साल 2016 में सदन में कहा था कि देश में 2 करोड़ से ज्यादा बांग्लादेशी अवैध रूप से प्रवास कर रहे हैं। इसके ऊपर 15 हजार से ज्यादा ऐसे बांग्लादेशी भी हैं जिन्हें भारत की नागरिका मिली है। संसद के ही एक डेटा के मुताबिक 2015 में 14880 बांग्लादेशियों को भारत की नागरिकता मिली थी, 2016 में 39, 2017 में 49, 2018 में 19 और 2019 में 25।
बंगाल में बढ़ती मुस्लिम आबादी
अब यही पर पश्चिम बंगाल का समीकरण समझना जरूरी हो जाता है। बंगाल में अवैध प्रवासी तो ज्यादा हैं ही, मुस्लिमों की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। इसे ऐसे समझ सकते हैं कि बंगाल में 1971 में सिर्फ 20 फीसदी मुसलमान थे, 2011 की जनगणना आते-आते वो आंकड़ा 27 फीसदी पर पहुंच गया। अब उसके बाद से ही कोई जनगणना नहीं हुई है, लेकिन ऐसा अनुमान है कि वर्तमान में पश्चिम बंगाल में मुस्लिमों की संख्या 34 फीसदी को भी पार कर चुकी है। ऐसा भी माना जाता है कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी को इन अवैध प्रवासियों का अच्छा खासा वोट मिलता है। बीजेपी ने इसे बड़ा मुद्दा भी हर बार बनाया है और उसे तुष्टीकरण की राजनीति से भी जोड़ा है।
अवैध प्रवासी, दो बड़ी चुनौतियां
अब अगर वर्तमान स्थिति पर आएं तो ऐसा माना जा रहा है कि फिर बांग्लादेश से अवैध प्रवासी भारत में दाखिल होने की पूरी कोशिश करेंगे। वहां भी क्योंकि ममता बनर्जी का रुख इन बांग्लादेशियों को लेकर नरम है, ऐसे में पूर्वोत्तर के इसी राज्य में सबसे ज्यादा स्थिति और समीकरण बदल सकते हैं। अवैध प्रवासियों की वजह से दो तरह से चुनौतियां बढ़ सकती हैं। एक तो यह रहता है कि सीमित संसाधनों के बीच में अचानक से जनसंख्या बढ़ जाती है। दूसरा यह रहता है कि अवैध प्रवासियों की वजह से आपराधिक घटनाओं में इजाफा होने का खतरा बढ़ जाता है।
आतंकवाद का खतरा बढ़ा, कट्टरपंथी होंगे हावी!
यह नहीं भूलना चाहिए कि जब बांग्लादेश में बीएनपी का शासन था, तब कई कट्टरपंथी संगठनों ने भारतीय सीमा पर तनाव बढ़ाने का काम किया था। असम में भी तब उल्फा जैसे कट्टरपंथी संगठनों को काफी बढ़ावा मिला था। आतंकियों के लिए भारत-बांग्लादेश सीमा अपराध का नया गढ़ बन गई थी जहां से ना सिर्फ हथियार सप्लाई होते बल्कि ड्रग्स और दूसरी वस्तुओं की तस्करी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी।
बुरा फंसा भारत, चिंता ही चिंता
अब चिंता की बात यह है कि बांग्लादेश में जिसकी भी अंतरिम सरकार बनने वाली है, वो या तो चीन समर्थन हो सकती है या फिर जिहादी मानसिकता के साथ कट्टर विचारों को बढ़ावा देने वाली। दोनों ही स्थिति में भारत की चिंता बढ़ जाएगी क्योंकि चीन समर्थित सरकार से भी सीमा पर तनाव बढ़ेगा और कट्टरपंथी सरकार आने से कई दूसरे आतंकी संगठनों को बढ़ावा मिलेगा। ऐसे में भारत के लिए बांग्लादेश हिंसा की वजह से ‘इधर कुआ उधर खाई’ वाली स्थिति बन चुकी है।