ओडिशा के बालासोर में हुए दर्दनाक ट्रिपल ट्रेन एक्सीडेंट से लोग अभी भी सहमे हुए हैं। हादसे के बाद केंद्र की मोदी सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर है। इस बीच रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की भी मांग की जा रही है। विपक्ष ने वैष्णव पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है, जिसके कारण 275 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। आइए जानते हैं इससे पहले भीषण रेल हादसों के बाद किन-किन मंत्रियों ने दिया था इस्तीफा-

  • साल 1956 में तमिलनाडु ट्रेन हादसे के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने रेल मंत्री के तौर पर इस्तीफा दे दिया था। इस हादसे में 250 लोगों की जान गई थी। इससे पहले आंध्र प्रदेश में एक ट्रेन हादसे में 100 लोगों की मौत के बाद उन्होंने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया था।
  • नीतीश कुमार ने भी 1999 में रेल मंत्री रहते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। पश्चिम बंगाल के गायसाल में एक रेल हादसा हुआ था, जिसमें 285 लोगों की मौत हुई थी और 300 लोग घायल हुए थे। ब्रह्मपुत्र मेल और अवध असम एक्सप्रेस में भिडंत हुई थी। इसके तुरंत बाद नीतीश कुमार ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। हालांकि, अटल बिहार वाजपेयी ने उनसे जल्दबाजी ना करने का आग्रह किया था। नीतीश ने कहा था कि इसमें कोई राजनीति नहीं है और वह काफी सदमे में थे। उस समय केंद्र में भाजपा और जेडीयू की गठबंधन की सरकार थी।
  • साल 2000 में ममता बनर्जी के केंद्रीय रेल मंत्री रहते हुए एक ट्रेन हादसे में 43 लोगों के जान चली गई थी, जिसके बाद उन्होंने उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को अपना इस्तीफा सौंपा लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।
  • साल 2016 में मोदी सरकार में रेल मंत्री रहे सुरेश प्रभु ने 4 दिन में दो रेल हादसों के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। एक हादसे में 150 लोगों की जान गई थी। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरेश प्रभु से इस्तीफा वापस लेने का आग्रह किया, लेकिन प्रभु ने कहा कि वह इन हादसों की नैतिक जिम्मेदारी लेते हैं और उन्होंने पद छोड़ दिया।

बालासोर रेल हादसे के बाद अश्विनी वैष्णव के इस्तीफे की मांग के बीच भारतीय जनता पार्टी ने रेलवे के पुराने रिकॉर्ड्स खंगाल रही है और केंद्र सरकार पर लगाए जा रहे आरोपों पर पलटवार कर रही है। भाजपा का दावा है कि ममता बनर्जी के रेल मंत्री रहते हुए ट्रेनों की टक्कर के 54 मामले सामने आए, 839 रेल पटरियों से उतरीं और 1,451 लोगों की इन हादसों में जान गई। भाजपा ने नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा और कहा कि जब वह रेल मंत्री थे तो ट्रेनों की भिड़ंत के 51 मामले सामने आए, 550 बार ट्रेनें डीरेल हुईं और रेल हादसों में 1,199 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।