भारत ने पाकिस्तान में कैद में रखे गए अपने पूर्व नौसेना अफसर कुलभूषण जाधव को छुड़ाने के लिए पिछले दरवाजे से इस्लामाबाद को मनाने की कोशिश की थी। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में कुलभूषण का केस लड़ने वाले भारत के वकील हरीश साल्वे ने इस बात का खुलासा किया है। पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने कुलभूषण जाधव को दो साल पहले जासूसी और आतंकी गतिविधियों में शामिल रहने के लिए मौत की सजा सुनाई थी। इस पर भारत ने पाकिस्तान को रोकने के लिए इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में केस लड़ा था।

द इंडियन एक्सप्रेस को मिली जानकारी के मुताबिक, भारत के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (एनएसए) अजीत डोवाल ने एक मौके पर पाकिस्तान के एनएस नसीर खान जंजुआ से कुलभूषण जाधव को छोड़ने के तरफ इशारा किया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट के चर्चित वकील और भारत के सॉलिसिटर जनरल रहे साल्वे ने बताया, “हम उम्मीद कर रहे थे कि पिछले दरवाजे से बातचीत कर हम पाकिस्तान को कुलभूषण जाधव को छोड़ने के लिए मना लेंगे। फिर यह चाहे मानवता के आधार पर कहते या किसी और आधार पर, लेकिन हम उसे वापस चाहते थे। हमने उनसे कहा कि कुलभूषण को छोड़ जाए, क्योंकि पाकिस्तान में यह अहंकार की परेशानी के तौर पर ज्यादा था। इसलिए हम उम्मीद कर रहे थे कि वे कुलभूषण को जाने देंगे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।” साल्वे ने यह बात आरएसएस से जुड़े वकीलों के संगठन अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद की ओर से आयोजित ऑनलाइन सेशन में कहीं।

पाकिस्तान का कहना है कि उसने जाधव को 3 मार्च 2016 को गिरफ्तार किया था। इस बारे में भारत को जानकारी 25 मार्च 2016 को दी गई, जब पाकिस्तान के विदेश सचिव ने यह मामला इस्लामाबाद में स्थित भारतीय उच्चायुक्त के सामने उठाया था। भारत ने तुरंत ही पाकिस्तान से इस मामले में कॉन्स्यूलर एक्सेस देने की मांग की थी। हालांकि, पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने इन सभी मांगों को अनसुना करते हुए जाधव पर जासूसी और आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाते हुए उसे अप्रैल 2017 में मौत की सजा सुना दी थी। इसके बाद मई 2017 में भारत ने इस केस को आईसीजे में चुनौती दी थी।

पिछले साल जुलाई में आईसीजे ने फैसले में पाकिस्तान को निर्देश दिया था कि वह जल्द से जल्द जाधव को कॉन्स्यूलर एक्सेस मुहैया कराए और उसकी मौत की सजा पर पुनर्विचार करे। आईसीजे ने पाया था कि पाकिस्तान ने कॉन्स्यूलर एक्सेस न देकर अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन किया है। इसके बाद से ही पाकिस्तान उस केस को लेकर आगे नहीं बढ़ पाया है। इस पर साल्वे ने कहा, “अब हम एक ऐसे बिंदू पर पहुंच गए हैं, जहां हमें फैसला करना होगा कि हमें आईसीजे जाकर पाकिस्तान के लिए कुछ और जरूरी निर्देश दिलवाने हैं, क्योंकि पाकिस्तान अभी इस मामले में आगे नहीं बढ़ा है। हम इतना दूर आ गए हैं, अब वे उसे (जाधव को) मौत नहीं दे सकते। हमारे अफसरो को कॉन्स्यूलर एक्सेस मिलना ही चाहिए।”

साल्वे ने कहा, “जाधव के कथित कबूलनामे को अब भुला देना चाहिए, क्योंकि इसके बिना पाकिस्तान के पास जाधव के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। पाकिस्तान ने आज तक हमसे उसके खिलाफ दायर की गई एफआईआर और चार्जशीट या मिलिट्री कोर्ट का फैसला तक साझा नहीं किया है, जबकि हम उनसे लगातार सबूतों को साझा करने के लिए कहते रहे हैं। लेकिन वे इससे इनकार कर रहे हैं। मुझे लगता है कि पाकिस्तान के पास और भी कई गंभीर परेशानियां हैं।”