Baba Siddique Murder Case: महाराष्ट्र में अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेता बाबा सिद्दीकी की शनिवार रात गोली मारकर हत्या कर दी गई। उनको एक अनुभवी और तेजतर्रार राजनेता के रूप में जाना जाता था। वह राजनीति में आगे बढ़ने के साथ-साथ बॉलीवुड की मशहूर हस्तियों के साथ घुलने-मिलने में भी काफी माहिर थे। उनको कई इफ्तार पार्टियों में बॉलीवुड हस्तियों के साथ में कंधे से कंधा मिलाकर देखा जा सकता था।
बिहार के रहने वाले कारोबारी अब्दुल रहीम के घर जन्मे जियाउद्दीन सिद्दीकी बाबा ने छात्र राजनीति से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। वे 1977 में किशोरावस्था में ही कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए और जल्द ही अपनी पहचान बना ली। 1980 में वे बांद्रा तालुका युवा कांग्रेस के महासचिव बन गए। दो साल के भीतर ही वे इसके अध्यक्ष चुने गए।
1992 में चुने गए पार्षद
1988 तक वे मुंबई युवा कांग्रेस के अध्यक्ष पद तक पहुंच गए और 1992 में लोगों ने उन्हें पार्षद चुन लिया। जब वह राजनीतिक तौर पर उभर रहे थे तो उन्होंने सुनील दत्त के साथ में घनिष्ठ संबंध बनाए। वह कांग्रेस के प्रमुख सांसद थे और लगातार पांच बार मुबंई उत्तर पश्चिम का प्रतिनिधित्व कर चुके थे। सिद्दीकी के दत्त के साथ में यही संबंध उन्हें बांद्रा से टिकट दिलाने में काफी मददगार साबित हुआ। यहां पर वह जीते और लगातार तीन बार यह सीट बरकरार रखी। 2004 से 2008 तक बाबा सिद्दीकी ने कांग्रेस-एनसीपी सरकार में महाराष्ट्र के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, श्रम, एफडीए और उपभोक्ता संरक्षण राज्य मंत्री के तौर पर काम किया।
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कांग्रेस पार्टी के मुस्लिम चेहरे के तौर पर जाने जाने वाले सिद्दीकी को 2014 के चुनावों में बीजेपी के आशीष शेलार से हार का सामना करना पड़ा था। उसी टाइम से वे अपने राजनीतिक करियर को दोबारा से जिंदा करने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि उन्होंने खुद चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन वे 2019 के विधानसभा चुनावों में बांद्रा ईस्ट से अपने बेटे जीशान सिद्दीकी के लिए सीट सुरक्षित करने में कामयाब रहे और उन्होंने शिवसेना के गढ़ माने जाने वाले इलाके में 5,000 वोटों के मामूली अंतर से जीत हासिल की।
बिहार में सियासी जमीन तलाशनी शुरू की
शिवसेना के साथ में अलायंस करने और एमवीए सरकार बनाने के फैसले की वजह से सिद्दीकी की कांग्रेस से अनबन हो गई। अपने लिए राजनीतिक रास्ता तलाशने और बेटे के राजनीतिक भविष्य को सुरक्षित करने के लिए सिद्दीकी ने एक समय पर बिहार में अपना राजनीतिक आधार बदलने पर गंभीरता से विचार किया। यहां पर ही उनके परिवार की जड़ें थी। कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि उन्होंने आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव से राज्यसभा सीट भी मांगी थी, लेकिन वह इच्छा पूरी नहीं हो पाई।
एनसीपी का थामा दामन
शिवसेना और एनसीपी में बंटवारा और राज्य में एक नए राजनीतिक बदलाव के बाद सिद्दीकी को दोबारा से जिंदा करने का मौका दिखाई दिया। इस साल फरवरी में सिद्दीकी ने कांग्रेस के साथ अपना 48 साल का नाता तोड़ते हुए पार्टी छोड़ दी और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी का दामन थाम लिया। हालांकि उनके इस फैसले में राजनीतिक फायदे की ज्यादा भूमिका रही। 2017 में ईडी ने एक प्रोजेक्ट से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत बांद्रा में उनसे जुड़ी संपत्तियों पर छापा मारा था।
राजनीति से दूर सिद्दीकी के फेमस होने का कारण उनकी शानदार इफ्तार पार्टियां थीं। इन पार्टियों में बड़े-बड़े दिग्गज शामिल होते थे। इनमें साल 2013 में सुपरस्टार शाहरुख खान और सलमान खान ने भी शिरकत की थी। इस पार्टी के बारे में माना जाता है कि इसकी वजह से ही उनके बीच में चली आ रही दूरियां मिट गईं थी।