अमरनाथ यात्रा पर गए श्रद्धालुओं को थोड़ी निराशा हो सकती है। पवित्र अमरनाथ गुफा में बर्फानी बाबा का शिवलिंग इस बार समय से काफी पहले ही 18 दिन में पिघलने लगा है। बाबा के समय से पहले ही अंतरध्यान होने की वजह से वहां पर पहुंचने वाले भक्तों को उनका दर्शन शायद नहीं मिल सकेगा। हालांकि 30 जून से शुरू हुई यात्रा में अब तक दो लाख से ज्यादा श्रद्धालु बाबा का दर्शन कर चुके हैं, लेकिन अब भी काफी श्रद्धालुओं को दर्शन करना है और वे यात्रा पर निकल चुके हैं।
पिछले दो साल से कोविड के चलते यात्रा बंद थी। इस बार यात्रा शुरू हुई तो ग्लोबल वार्मिंग का असर वहां भी दिखने लगा। बताया जा रहा है कि लाखों श्रद्धालुओं के आने की वजह से बढ़ता तापमान और बादल फटने से बर्फ का शिवलिंग समय से काफी पहले पिघल गया है। 12 अगस्त को यात्रा का समापन होगा, लेकिन करीब 25 दिन पहले ही बाबा का 95 फीसदी शिवलिंग पिघल गया है। इससे श्रद्धालुओं को उनका दर्शन अब नहीं मिल सकेगा।
श्रद्धालुओं के सामने बाधा की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले इस महीने 8 जुलाई को अचानक आई बाढ़ के कारण यात्रा रोक दी गई थी। इस घटना में 16 लोगों की जान भी चली गई थी। 14 जुलाई को भारी बारिश से यात्रा बाधित हुई और नुनवान-पहलगाम आधार शिविर से यात्रा रोक दी गई।
अमरनाथ यात्रा दुर्गम यात्रा मानी जाती है। यहां पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं। पहलगाम और बालटाल के जरिए गुफा तक पहुंचा जा सकता है। पहलगाम एक पारंपरिक मार्ग है, यह लंबा और दो दिन का ट्रेक या टट्टू की सवारी करनी पड़ती है। बालटाल मार्ग छोटा है और तीर्थयात्री एक दिन में लौट सकते हैं।
उधर, कैलाश मानसरोवर यात्रा पर गए 40 यात्री उत्तराखंड में फंसे हुए थे, जिन्हें सरकार ने रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। यह सभी 40 यात्री 36 घंटे तक फंसे हुए थे। उत्तराखंड में भी लगातार बारिश हो रही है, जिससे लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हुआ है। कैलाश मानसरोवर यात्रा से यात्री लौट रहे थे और इसी दौरान वह उत्तराखंड के बूंदी में फंस गए थे।
पिथौरागढ़ जिला प्रशासन ने हेलीकॉप्टर से यात्रियों को रेस्क्यू किया और उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। यात्रियों को रेस्क्यू करने के लिए 8 बार हेलीकॉप्टर को उड़ान भरनी पड़ी। यात्रियों को रेस्क्यू कर धारचूला मुख्यालय पहुंचाया गया, जिसके बाद तीर्थ यात्रियों को वाहनों से उनके गंतव्य स्थान के लिए रवाना किया गया।