हमेशा से अपने विवादित बयानों के लिए चर्चा में रहने वाले यूपी के कैबिनेट मिनिस्टर आजम खान ने एक बार फिर से विवादित बयान दे डाला। बीते दिन आजम से जब समलैंगिकता वाले मुद्दे पर प्रतिक्रिया देने को कहा गया तो उन्होंने RSS पर तीखा हमला करते हुए कहा कि आरएसएस वाले ऐसे ही हैं, इसलिए तो नहीं करते शादी। गौरतलब है कि बीते दिन अधिकारों के लिए राजधानी दिल्ली में नई दिल्ली के बाराखंभा से लेकर कनॉट प्लेस तक रविवार को ‘गे प्राइड’ परेड निकाली गई।
इस परेड में समलैंगिक और ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग शामिल हुए। परेड के जरिए इन लोगों ने अपने अधिकारों की मांग की। इस मौके पर इस समुदाय के लोगों ने पूछा कि वे कहां जाएं। उन्होंने कहा कि पुनविर्चार याचिका भी दायर की। लेकिन वो सब खारिज कर दी गईं। परेड में शामिल एक ट्रांसजेंडर ने धारा 377 का विरोध करते हुए कहा कि इसे फेंक देना चाहिए, कब तक हम अंग्रेजों के बनाए कानूनों को ढ़ोते रहेंगे। समलैंगिगता को भारत में अपराध माना जाता रहा है। बता दें कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी समलैंगिक राइट्स को लेकर को लेकर बयान जारी किया कि धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट फिर से विचार करें।
लिहाजा अब यह मामले यूपी में पहुंच गया। दरअसल, यूपी के रामपुर में निरीक्षण भवन पहुंचे आजम खान से जब समलैंगिकता पर पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस पर पार्लियामेंट को सख्त राय बनानी चाहिए। क्योंकि देश की बड़ी ताकत पार्लियामेंट ही है। इसी दौरान उन्होंने RSS पर तंज कसा कि हम क्यों उनका ये मतलब समझें? जरूरी नहीं कि सारे लोग उन्हीं के विचारधारा के हों जाएं। आरएसएस वाले होते ही ऐसे हैं। आरएसएस पर तो शुरू से इल्जाम ही ऐसे हैं, इसीलिए वे शादी नहीं करते।
इसके बाद जब संघ से इस आजम की टिप्पणी के बारे में पूछा गया तो RSS विचारक डॉ. राकेश सिन्हा ने कहा कि असल में आजम खां का मानसिक संतुलन बिगड़ गया है। ऐसे व्यक्ति को ना तो अपने मुंह लगाया जाता है। और ना ही बात की जाती है। जो पेरिस अटैक का समर्थन कर चुका हो और भारत के मामले को लेकर यूनाइटेड नेशंस जाने की बात कहता हो, जिसके लिए भैंस की सेफ्टी प्राथमिकता हो और जो मुलायम के परिवार को राष्ट्रवाद की तरह पूजता हो, ऐसे व्यक्ति पर केवल तरस ही आता है।
विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल का कहना है कि किसी भी राष्ट्रवादी के लिए ऐसे लोगों पर कोई कमेंट देना शोभा नहीं देता है। संघ पर टिप्पणी करने वाले पहले उसकी शाखा में जाकर अपना आचरण सुधारें। जो संघ को समझ जाएगा, वह फिर ऐसी बात नहीं कहेगा। राष्ट्रवादी संगठनों के प्रति ऐसी सोच यह बताती है कि इन लोगों का चरित्र कैसा होगा।
जेटली ने क्या कहा था?
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