Kaunain Sheriff M

मोदी सरकार की प्रमुख स्वास्थ्य बीमा योजना आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) 2018 में शुरू हुई थी। अब इसके 6 साल हो गए हैं। हर साल योजना के तहत खर्च किए गए कुल धन का दो-तिहाई हिस्सा देश भर के निजी अस्पतालों में जाता है। इंडियन एक्सप्रेस ने सूचना के अधिकार के तहत आधिकारिक रिकॉर्ड हासिल किया है इस डेटा से पता चलता है कि दिसंबर 2023 तक सभी लाभार्थियों का 54% धन प्राइवेट अस्पतालों को गया है।

आयुष्मान योजना में सरकारी अस्पतालों की हिस्सेदारी 58%

आयुष्मान योजना को केंद्र और राज्यों द्वारा संयुक्त रूप से 60:40 (उत्तर-पूर्व और पहाड़ी राज्यों के मामले में 90:10) के अनुपात में फाइनेंस किया जाता है। लिस्टेड सभी सुविधाओं में सरकारी अस्पतालों की हिस्सेदारी 58% है।

भारत में अधिक संख्या में लोग प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती होते हैं। शहरी क्षेत्रों के 60% और ग्रामीण क्षेत्रों के 52% लोग प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती होते हैं। ऐसे में डेटा से पता चलता है कि देश की बड़ी आबादी प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करा रही है। आयुष्मान भारत योजना ने लोगों की स्वास्थ्य देखभाल खर्च को काफी कम कर दिया है। सरकार का अपना डेटा बताता है कि निजी अस्पतालों में औसत चिकित्सा खर्च सरकारी अस्पतालों की तुलना में 6-8 गुना है।

2018 से योजना के तहत कुल 72,817 करोड़ रुपये खर्च हुए। इसमें से 48,778 करोड़ रुपये (67%) निजी अस्पतालों को मिले। दक्षिणी राज्यों तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में कुल मिलाकर देश भर में केवल 17 प्रतिशत आयुष्मान कार्ड हैं, लेकिन देश के कुल रोगियों में उनका हिस्सा 53 प्रतिशत है। इससे दक्षिणी राज्यों में योजना के महत्व का पता चलता है। पिछले पांच वर्षों में इस योजना का लाभ उठाने वाले कुल 5.47 करोड़ रोगियों में से लगभग 60 प्रतिशत कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ से थे। इससे पता चलता है कि योजनाओं और फंडिंग को लेकर केंद्र और विपक्ष शासित राज्यों के बीच विवादों के बावजूद आयुष्मान भारत योजना पर कोई असर नहीं है। दिल्ली, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में यह योजना नहीं है।

योजना की खासियत

कैशलेस और पेपरलेस योजना लाभ के साथ 27,000 लिस्टेड माध्यमिक (चिकित्सा, स्त्री रोग सहित बुनियादी विशेषताओं वाले अस्पताल) और तृतीयक (सुपर-स्पेशियलिटी, जैसे न्यूरोसर्जरी, कार्डियोलॉजी, ऑर्थोपेडिक्स) अस्पताल में भर्ती होने के लिए प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का लाभ मिलता है। यह योजना लगभग 2,000 प्रक्रियाओं को कवर करती है और कैंसर-हृदय रोगों सहित कई अन्य बीमारियों से पीड़ित रोगियों के लिए गंभीर कवरेज प्रदान करती है। अस्पताल में भर्ती होने के दौरान होने वाले खर्चों के अलावा, यह योजना अस्पताल में भर्ती होने से पहले के तीन दिनों और अस्पताल में भर्ती होने के 15 दिनों के बाद के खर्चों को भी कवर करती है। लाभार्थी परिवारों की पहचान 2011 की सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) से की जाती है। लगभग 13.44 करोड़ परिवार (65 करोड़ लोग) इस योजना के संभावित लाभार्थी हैं। अब तक 32.40 करोड़ लोगों को आयुष्मान भारत कार्ड जारी किये जा चुके हैं।

सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम से प्राप्त आंकड़ों और दस्तावेजों के विश्लेषण से पता चलता है कि 2018 और 2023 के बीच 5.47 करोड़ मरीजों ने इस योजना के तहत इलाज कराया। जहां पहले तीन वर्षों में वार्षिक औसत लगभग 49 लाख मरीजों का था, वहीं बाद के तीन वर्षों में इसमें वृद्धि देखी गई। सालाना औसतन 1.33 करोड़ मरीज इस योजना के तहत इलाज करा रहे हैं।

योजना की मुख्य बातें

  • पैनल में शामिल 10 अस्पतालों में से छह सरकारी हैं, लेकिन जब अस्पताल में भर्ती होने की बात आई, तो 100 में से 54 मरीज़ या पिछले पांच वर्षों में योजना का लाभ उठाने वाले कुल 5.47 करोड़ में से 2.95 करोड़ मरीज़ों ने इलाज के लिए निजी अस्पतालों का रुख किया।
  • 15 राज्यों में निजी सुविधाओं पर इलाज चाहने वाले व्यक्तियों का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत 54% से अधिक हो गया।
  • आठ राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में योजना के तहत इलाज कराने वालों में से 70% ने निजी अस्पतालों रुख किया। इन राज्यों में उत्तर प्रदेश (81%), हरियाणा (81.45%), गुजरात (78%), चंडीगढ़ (76%) ), महाराष्ट्र (77%), तमिलनाडु (74%), झारखंड और आंध्र प्रदेश (~70%) शामिल है।
  • डेटा से पता चलता है कि निजी अस्पतालों में इलाज कराने वाले 2.95 करोड़ लाभार्थियों का एक बड़ा हिस्सा सिर्फ पांच राज्यों में केंद्रित था। इनमे तमिलनाडु (71.95 लाख मरीज़), आंध्र प्रदेश (35.78 लाख मरीज़), उत्तर प्रदेश (25.57 लाख) मरीज़), गुजरात (23.04 लाख मरीज़) और केरल (21.31 लाख मरीज़ शामिल हैं।
  • विशेष रूप से ध्यान देने वाली बात उत्तर प्रदेश से है, जहां पिछले वर्ष की तुलना में निजी अस्पतालों में जाने वाले मरीजों में लगातार वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए 2018-19 में राज्य के 52,202 लाभार्थियों ने निजी अस्पतालों में इलाज करवाया। 2019-20 में यह संख्या बढ़कर 2.17 लाख लाभार्थियों तक पहुंच गई।
  • आंकड़ों से पता चलता है कि सरकार ने योजना के तहत मरीजों के इलाज के लिए 72,817.76 करोड़ रुपये का खर्च किया, जिसमें से 48,778.61 करोड़ रुपये या 66% से अधिक निजी अस्पतालों पर इलाज के लिए खर्च किए गए।
  • निजी अस्पतालों में इलाज के लिए किए गए कुल खर्च का 59% केवल पांच राज्यों से है। इनमे आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु शामिल है।
  • उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और मध्य प्रदेश में कुल लिस्टेड सरकारी अस्पतालों का लगभग 24% हिस्सा है। इन राज्यों में कुल रोगियों में से केवल 11% ने सरकारी अस्पतालों में इलाज कराया।