अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से फैसला आने के बाद जेएनयू में करीब 100 छात्रों ने इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के जवाब में भाजपा की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् (ABVP) के छात्रों ने भी प्रदर्शन किया।

एबीवीपी के छात्रों ने जवाबी प्रदर्शन में ‘जय श्री राम’ और ‘मंदिर वहीं बनाएंगे’ के नारे लगाए। इतना ही नहीं एबीवीपी के छात्रों ने दिये जलाकर जयश्रीराम की प्रतिकृति बनाई। हालांकि, यह विरोध प्रदर्शन कुछ छात्रों ने व्यक्तिगत रूप से किया था। यूनिवर्सिटी के बड़े छात्र संगठनों और जेएनयू छात्र यूनियन ने खुद को इन प्रदर्शनों से दूर ही रखा।

हालांकि, कुछ प्रमुख छात्र समूह जैसे फ्रेटर्निटी, वाईएफडीए और बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिशन की मौजूदगी रही। जामिया मिल्लिया समेत कई बाहरी छात्र भी प्रदर्शन के दौरान मौजूद थे। फ्रेटर्निटी की तरफ से जेएनयूएसयू काउंसलर आफरीन फातिमा ने भीड़ को संबोधित किया।

फातिमा का कहना था कि यह जमीन का मामला नहीं बल्कि यह हमारी आस्था का मामला है। उसी समय एबीवीपी ने नारेबाजी शुरू कर दी। एबीवीपी के छात्र ‘एक ही नारा, एक ही नाम, जय श्री राम’ के नारे लगा रहे थे। मालूम हो सुप्रीम कोर्ट की पांच जजो की पीठ ने अयोध्या विवाद में रामलला को विवादित जमीन देने का फैसला सुनाया

शीर्ष अदालत ने अपने विशेष अधिकार का प्रयोग करते हुए मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ की अतिरिक्त जमीन देने का फैसला भी सुनाया। अदालत ने माना की बाबरी मस्जिद तोड़ा जाना गैर कानूनी था। हालांकि, शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि मुस्लिम पक्ष विवादित जमीन पर अपना अधिकार होने संबंधी बात को साबित नहीं कर पाया। शीर्ष अदालत ने यह माना कि जिस जगह मस्जिद बनी थी वहां पहले से ही नीचे कुछ था और वह इस्लामिक नहीं था।

अदालत ने फैसला सुनाते समय भारतीय पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट को भी स्वीकार किया। अदालत ने सरकार को राम मंदिर निर्माण के लिए तीन महीने ट्रस्ट का गठन करने का निर्देश दिया। अदालत ने इस फैसले में निर्मोही अखाड़े की सभी दलीलों को खारिज करते हुए उसे पार्टी मानने से ही इनकार कर दिया।