अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा एक बार फिर से गर्मा गया है। उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि राम मंदिर का निर्माण देश का एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। इससे भारत के 80 करोड़ हिंदुओं की आस्था जुड़ी है। रिजवी ने लिखा, ‘पिछले सात दशकों से कुछ कट्टरपंथी मुसलमानों की वजह से 80 करोड़ हिंदुओं की आस्था अदालतों के दरवाजे पर खड़ी है। नफरतों का बाजार गर्म है। मुस्लिम दहशत में हैं और खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। स्थितियों को देख कर ऐसा लगता है कि किसी भी वक्त फसाद खड़ा हो सकता है। इसे कराने को लेकर पड़ोसी मुस्लिम देश पाकिस्तान पूरी कोशिश कर रहा है।’ वसीम रिजवी शुरुआत से ही अयोध्या में राम मंदिर बनाने के हिमायती रहे हैं। इसके लिए वह मुस्लिम समुदाय से अपील करते रहे हैं। रिजवी फरवरी में अयोध्या पहुंचे थे और विवादित परिसर में विराजमान रामलला के दर्शन किए थे। इस मौके पर उन्होंने कहा था कि कट्टरपंथी मुल्लाओं ने राम मंदिर के मामले को अबतक उलझा कर रखा है, लेकिन अब उन्हें लगता है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जल्द ही मंदिर का निर्माण शुरू हो जाएगा। वसीम रिजवी ने अयोध्या पहुंच कर कट्टरपंथी मुसलमानों पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि सेक्युलर मुस्लिम राम मंदिर के पक्ष में हैं और अब कट्टरपंथियों की ताकत कमजोर हो रही है। रिजवी ने यह भी कहा था कि भारत में जिहाद का सपना देखने वालों को जिन्ना के साथ ही पाकिस्तान चले जाना चाहिए था।

शिया वक्फ के अध्यक्ष ने पीएम मोदी की तारीफ भी की। उन्होंने लिखा, ‘पिछले चार वर्षों में जो काम हुआ है, वह आपकी जिम्मेदारी थी। आपने (मोदी) इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है, लेकिन विकास कोई मुद्दा नहीं होता है। राम मंदिर का मुद्दा ही सबसे बड़ा मसला है, जिसे विकास की आड़ में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड इस मामले का हल चाहता है। वक्फ बोर्ड और हिंदू पक्षकारों के बीच एक समझौता प्रस्ताव भी है, जिसके मुताबिक अयोध्या में राम मंदिर और लखनऊ में मस्जिद का निर्माण होना चाहिए।’ वसीम रिजवी ने पीएम मोदी से मिलने का वक्त भी मांगा है। उन्होंने आगे लिखा, ‘देश में चुनावी माहौल गर्म होना शुरू हो गया है। कट्टरपंथी मुसलमानों की हिमायती सियासी पार्टियों का आपकी हुकूमत के खिलाफ एकजुट होना शुरू हो गया है। राम मंदिर निर्माण का शांतिपूर्वक और निष्पक्ष हल सिर्फ आपकी हुकूमत में ही हो सकता है। देश के करोड़ों हिंदुस्तानियों का यह मानना है। अब वह वक्त आ गया है कि देश एकबार फिर तय करे कि राम मंदिर चाहिए या तालिबान।’