Ayodhya Ram Mandir-Babri Masjid Verdict Updates: केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा है कि यह धार्मिक विवाद का मसला नहीं है, क्योंकि अयोध्या हिंदुओं का महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह भगवान राम की जन्मभूमि है। पर मुस्लिमों के लिए यह धार्मिक स्थल नहीं है। उनके लिए वह मक्का है। मगर इसे जानबूझकर मुद्दा बनाया गया और आखिरकार यह जमीन विवाद में तब्दील हो गया। वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देश हित में बताया। वह बोले, “रामचंद्र जन्मभूमि से जुड़ा विवाद जल्द से जल्द सुलझेगा, तो यह देश हित में होगा। देश की बड़ी आबादी इस मसले पर जल्द से जल्द हल चाहती है। हमारी अपील है कि इसे जितना जल्दी हो सके, उतना जल्दी हल कर लिया जाए।”

आपको बता दें कि इस्‍लाम में मस्जिद की अनिवार्यता के मामले में सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्‍यीय पीठ ने अहम फैसला दिया है। पीठ ने अपने फैसले में कहा कि इस मसले को संविधान पीठ के हवाले नहीं किया जाएगा। जस्टिस अशोक भूषण ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि सिविल वाद पर तथ्‍यों के आधार पर निर्णय किया जाएगा और पूर्व के फैसले की कोई प्रासंगिकता नहीं है। तीन सदस्‍यीय पीठ में मुख्‍य न्‍यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्‍दुल नजीर शामिल हैं। शीर्ष अदालत ने इस्‍लाम में मस्जिद की अनिवार्यता मामले में 2-1 के बहुमत से फैसला दिया है। जस्टिस नजीर ने बहुमत के खिलाफ अपनी राय दी है।

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17:58 (IST)27 Sep 2018
सड़क पर भी पढ़ी जा सकती है नमाजः वेदांती

वहीं, राम जन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डॉक्टर राम विलास वेदांती बोले हैं कि जिस जगह रामलला विराजमान हैं। उस जगह पर कोई भी मस्जिद नही थी। अयोध्या में ढेरों मस्जिदें हैं, जहां मुस्लिम समुदाय के लोग नमाज अता कर सकते हैं। नमाज को सड़क पर भी पढ़ी जाती है।

17:49 (IST)27 Sep 2018
मुस्लिम पक्षकारों के लिए झटके जैसा SC का फैसला

अयोध्या के राम मंदिर से जुड़े इस मामले में आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक तरह से मुस्लिम पक्षकारों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। कोर्ट के पूर्व के फैसले को बड़ी बेंच के पास भेजने की उनकी (मुस्लिम पक्षकारों) मांग नहीं मानी गई। अयोध्या विवाद टाइटल सूट की सुनवाई अब 29 अक्टूबर से होगी, जिसे तीन जजों की बेंच करेगी।

17:19 (IST)27 Sep 2018
'मस्जिद हो सकती है शिफ्ट, पर मंदिर नहीं'

वहीं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है, "कोर्ट के इस फैसले से अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता बिल्कुल साफ हो गया है। हमारे मूलभूत अधिकारों की जीत हुई है। अब मस्जिद को दूसरी जगह पर शिफ्ट किया जा सकता है। लेकिन मंदिर दूसरी जगह नहीं बनेगा। अड़ंगा हट गया, लिहाजा मंदिर वहीं बनेगा।"

16:57 (IST)27 Sep 2018
सुनिए क्या बोले महंद सतेंद्र दास
16:31 (IST)27 Sep 2018
29 को अगली सुनवाई

सीजेआई जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस भूषण ने अयोध्‍या मामले की सुनवाई के लिए 29 अक्‍टूबर की तिथि मुकर्रर की है। बता दें कि इस्‍माइल फारूकी मामले में वर्ष 1994 में कोर्ट ने कहा था कि इस्‍लाम धर्म को मानने के लिए मस्जिद जरूरी नहीं है। ऐसे में भारतीय संविधान के प्रावधानों के तहत सरकार द्वारा जमीन के अधिग्रहण पर रोक भी नहीं है। कोर्ट ने स्‍पष्‍ट किया था कि मुसलमान कहीं भी नमाज पढ़ सकते हैं।

16:12 (IST)27 Sep 2018
'अड़ंगा हटा, मंदिर वहीं बनेगा'

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है, "सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से अयोध्या में राम मंदिर बनने का रास्ता साफ हो गया है। मेरे मूलभूत अधिकारों की जीत हुई है। मस्जिद को शिफ्ट किया जा सकता है। पर मंदिर को नहीं। अड़ंगा हट गया, मंदिर वहीं बनेगा।"

15:44 (IST)27 Sep 2018
विहिप के कार्यकारी अध्‍यक्ष ने कहा- रास्‍ता साफ हो गया

विश्‍व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्‍यक्ष आलोक कुमार ने कहा है वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले से संतुष्‍ट हैं। उन्‍होंने एएनआई से कहा कि ''राम जन्‍मभूमि से जुड़ी अपीलों के लिए रास्‍ता साफ हो गया है।'' न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने खुद व प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की ओर से फैसले को पढ़ते हुए कहा, "मामले को संवैधानिक पीठ के पास भेजे जाने का कोई मामला नहीं बनता।" न्यायमूर्ति अब्दुल नजीर ने हालांकि मामले को बड़ी संवैधानिक पीठ के पास भेजे जाने की पैरवी की।

15:28 (IST)27 Sep 2018
पहले की सुनवाई में क्‍या हुआ

1994 में, अपने निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने इस्‍लाम में प्रार्थना के लिए मस्जिद को जरूरी नहीं माना था। इसी के आधार पर इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय ने विवादित भूमि को तीन हिस्‍सों में बांटने का फैसला सुनाया था । विवादित भूमि को लेकर फैसले में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की किसी भूमिका से अदालत ने इनकार किया है।

15:14 (IST)27 Sep 2018
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जमीन को तीन हिस्‍सों में बांटा था

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने रामजन्‍मभूमि- बाबरी मस्जिद विवाद में वर्ष 2010 में महत्‍वपूर्ण फैसला दिया था। तीन जजों की पीठ ने 2-1 के बहुमत से 2.77 एकड़ जमीन को सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर हिस्‍सों में बांटने का फैसला सुनाया था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। मामले पर सुनवाई के दौरान इस्‍लाम में मस्जिद की अनिवार्यता का मसला उठा था। मुस्लिम पक्षकार ने इस मामले को बड़ी पीठ के हवाले करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मांग को ठुकरा दिया है।

14:48 (IST)27 Sep 2018
जस्टिस एसए. नजीर CJI और जस्टिस भूषण से सहमत नहीं

तीन सदस्‍यीय पीठ में शामिल जस्टिस एसए. नजीर ने CJI दीपक मिश्रा और जस्टिस अशोक भूषण के निर्णय से असहमति जताई है। जस्टिस नजीर ने अपपनी टिप्‍पणी में कहा कि मस्जिद इस्‍लाम का आधारभूत हिस्‍सा है या नहीं इसका निर्णय धार्मिक मान्‍यताओं को ध्‍यान में रखते हुए करना चाहिए। लिहाजा इस पर विस्‍तार से चर्चा करने की जरूरत है।

14:02 (IST)27 Sep 2018
नमाज के लिए मस्जिद जरूरी नहीं- रामलला मंदिर के पुजारी

कोर्ट के फैसले से पहले रामलला मंदिर के पुजारी सत्येन्द्र दास ने अपनी राय दी है और कहा है कि नमाज के लिए मस्जिद जरूरी नहीं है, नमाज कहीं भी पढ़ी जा सकती है।

13:58 (IST)27 Sep 2018
'कोर्ट के फैसले पर विश्वास'

बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा है कि आज जो कुछ भी कोर्ट का फैसला आएगा, हम उसे मानेंगे।

13:26 (IST)27 Sep 2018
आम चुनाव के बाद तक टल सकती है अयोध्‍या विवाद पर सुनवाई

इस्‍लाम में मस्जिद की अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर यह निर्भर करेगा कि रामजन्‍मभूमि विवाद पर फैसला जल्‍दी आएगा या फिर यह अगले साल होने वाले आम चुनाव के बाद तक टलेगा। इस्‍माइल फारूकी मामले को चुनौती देने वाली याचिका को संविधान पीठ या बड़ी पीठ के हवाले करने की स्थिति में अयोध्‍या विवाद पर सुनवाई महीनों तक खिंच सकती है।

12:59 (IST)27 Sep 2018
फारूकी मामले में मस्जिदों के अधिग्रहण को दी गई मंजूरी

तकरीबन 24 साल पहले इस्‍माइल फारूकी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया था। इसमें कहा गया था कि इस्‍लाम में इबादत के लिए मस्जिद का होना जरूरी नहीं है। मुस्लिम समुदाय के लोग कहीं भी नमाज पढ़ सकते हैं, लिहाजा मस्जिदों का अधिग्रहण निषेध नहीं है।

12:26 (IST)27 Sep 2018
मुस्लिम समूहों ने अदालत के सामने दी यह दलील

मुस्लिम समूहों ने प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष यह दलील दी है कि इस फैसले में उच्चतम न्यायालय के अवलोकन पर पांच सदस्यीय पीठ द्वारा पुर्निवचार करने की जरूरत है क्योंकि इसका बाबरी मस्जिद - राम मंदिर भूमि विवाद मामले पर असर पड़ेगा। वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने सिद्दीक के कानूनी प्रतिनिधि की ओर से पेश होते हुए कहा था कि मस्जिदें इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं है, यह टिप्पणी उच्चतम न्यायालय ने बगैर किसी पड़ताल के या धार्मिक पुस्तकों पर विचार किए बगैर की।

11:51 (IST)27 Sep 2018
20 जुलाई को सुरक्षित रखा गया था फैसला

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अशोक भूषण तथा न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ अपना फैसला सुनाएगी। पीठ ने 20 जुलाई को इसे सुरक्षित रख लिया था। अयोध्या मामले के एक मूल वादी एम सिद्दीक ने एम इस्माइल फारूकी के मामले में 1994 के फैस में इन खास निष्कर्षों पर ऐतराज जताया था जिसके तहत कहा गया था कि मस्जिद इस्लाम के अनुयायियों द्वारा अदा की जाने वाली नमाज का अभिन्न हिस्सा नहीं है। 

11:33 (IST)27 Sep 2018
हिंदू पक्ष चाहता है सिर्फ संपत्ति विवाद के रूप में हो सुनवाई

मुख्य वादी गोपाल सिंह विशारद की ओर से शीर्ष अदालत में दाखिल हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने इस दलील का विरोध किया और कहा कि मामले की सुनवाई सिर्फ संपत्ति विवाद के रूप में की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मामले को वृहतर पीठ के पास भेजने के लिए राजनीतिक या धार्मिक संवेदनशीलता आधार नहीं हो सकती है।

11:10 (IST)27 Sep 2018
तीन हिस्‍सों में बंटी थी विवादित भूमि

मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा 2010 में दिए गए फैसले को चुनौती देते हुए दाखिल याचिकाओं पर सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई चल रही है। उच्च न्यायालय ने 2.77 एकड़ विवादित भूमि को निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बांटने का फैसला सुनाया था। 

10:52 (IST)27 Sep 2018
मुस्लिम वादी संविधान पीठ की कर रहे मांग

मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों ने सर्वोच्च अदालत से राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद के मसले का समाधान करने के लिए मामले को संविधान पीठ के पास भेजने की मांग की। वहीं, हिंदू पक्ष के याचिकाकर्ताओं ने कहा कि मसले को बिल्कुल संपत्ति विवाद के रूप में देखते हुए इस पर सुनवाई की जानी चाहिए। मुख्य याचिकाकर्ता मोहम्मद सिद्दिकी की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने कहा कि देश के दो सबसे बड़े समुदायों के बीच विवाद का समाधान करने को लेकर मामले की गंभीरता और महत्व पर विचार करते हुए इसे वृहतर पीठ के पास सुनवाई के लिए भेजा जाना चाहिए।