Ayodhya Babri Masjid Case: अयोध्या रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद मामले में मंगलवार (12 अक्टूबर 2019) को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान हिंदू पक्ष ने अपनी दलीलें पेश कीं। हिंदू पक्ष के वकील के परासरण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इतिहास की गलती को सुधारना चाहिए। परासरण ने कहा कि किसी को भी भारत के इतिहास को नष्ट करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। यहां एक विदेशी शासक आया और बोला मैं बाबर हूं, कानून मेरे नीचे है। एक विदेशी यहां आकर अपने कानून लागू नहीं कर सकता।
सुनवाई के दौरान परासरण ने आगे कहा कि ‘हिंदू सालों से राम जन्मभूमि के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हिंदूओं के लिए यह राम का जन्मस्थान है। वहीं मुस्लिमों के लिए यह एक एतिहासिक मस्जिद है। मुस्लिमों के लिए सभी मस्जिद एकसमान होती हैं। लेकिन हम जन्मस्थान को नहीं बदल सकते।’
इस तर्क पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई ने वकील परासरण से कहा ‘क्या आपको नहीं लगता कि एक मस्जिद हमेशा एक मस्जिद ही रहती है? इस पर परासरण ने कहा मेरा मानना है कि जिस जगह एक मंदिर होता है वह हमेशा एक मंदिर ही रहता है।
मालूम हो कि भारत में मुगल सम्राज्य के संस्थापक बाबर को भारत में आक्रमणकारी और रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है। बीते दिनों सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष का कहना था कि बाबर ने रामजन्मभूमि पर मस्जिद का निर्माण करवाकर पाप किया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह यहां पर बाबर के पाप और पुण्यों के बारे में बात करने नहीं बैठे हैं।
बता दें कि सोमवार को हुई सुनवाई में मुस्लिम पक्षकार ने आरोप लगाया था कि इस मामले की सुनवाई में सिर्फ उन्हीं से सवाल पूछे जा रहे हैं जबकि हिंदू पक्ष से कोई सवाल नहीं किया जा रहा है। मुस्लिम पक्ष की तरफ से यह टिप्पणी वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने की थी।