फिल्म छावा ने केवल फिल्मी दुनिया में ही नहीं, बल्कि सियासत में भी हलचल मचा दी है। इस फिल्म के साथ ही औरंगजेब एक बार फिर से चर्चा में है। तीन दिन पहले ही महाराष्ट्र में सपा विधायक अबु आजमी ने बयान दिया कि औरंगज़ेब को वह क्रूर और अत्याचारी शासक नहीं मानते। अब यह बयान विवाद का केंद्र बन चुका है और औरंगजेब की क्रूरता को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। औरंगजेब इतना क्रूर था कि उसने अपने पिता शाहजहां को आगरा के किले में कैद करा दिया था और अपने भाइयों की हत्या करवा दी थी।

औरंगजेब ने 1658 से लेकर 1507 तक शासन किया। करीब 49 साल तक उसने भारत पर शासन किया। औरंगजेब ने कई मंदिरों को भी तुड़वाया था। औरंगजेब का जन्म गुजरात में 4 नवंबर 1618 में हुआ था। औरंगजेब के तीन भाई थे, जिनके नाम दारा शिकोह, शाह शुजा और मुराद बख्श था। औरंगजेब ने अपने भाई दारा शिकोह की बर्बर तरीके से हत्या करवाई थी। जबकि दूसरे भाई मुराद को जहर देकर मरवाया था।

पिता शाहजहां से शुरू हुआ टकराव

औरंगजेब अपने पिता मुगल शासक शाहजहां का तीसरे नंबर का बेटा था। जब जहांगीर की मौत हो गई तब शाहजहां के हाथ में सत्ता आई। औरंगजेब शुरू से ही बहादुर था और इसी को देखते हुए उसके पिता शाहजहां ने उसे दक्कन का सूबेदार बना दिया। 1637 में औरंगजेब की शादी हुई। शादी के कई हफ्ते बाद वह आगरा वापस आया। हालांकि शाहजहां उससे नाराज हो गए और सूबेदारी का पद उसका चला गया। इसी दौरान औरंगजेब का अपने भाइयों से भी विवाद हो गया।

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दारा शिकोह को खूब मानता था शाहजहां

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार दारा शिकोह और औरंगजेब के जीवन पर किताब लिखने वाले लेखक अवीक चंदा ने बताया था कि दारा शिकोह का व्यक्तित्व सत्ता और सियासत वाला बिल्कुल नहीं था। शिकोह शाहजहां के सबसे बड़े बेटे थे और बचपन से ही वह उसे प्यार करते थे। दारा शिकोह को शाहजहां हमेशा अपने करीब रखते थे और औरंगजेब को 16 की उम्र से ही सैन्य मोर्चे पर भेजा जाने लगा था।

वहीं औरंगजेब के दूसरे भाई मुराद बख्श को गुजरात और शाह शुजा को बंगाल भेजा गया, लेकिन दारा शिकोह को शाहजहां ने हमेशा अपने साथ ही रखा। अवीक चंद के अनुसार एक दिन पूरा परिवार हाथियों की जंग देख रहा था। इस दौरान औरंगजेब पर एक हाथी हमला कर देता है। औरंगजेब ने बहादुरी से उसका सामना किया और उसे अन्य लोगों की मदद से बचा लिया गया। इस बीच उसे देखने के लिए कई लोग जुट गए लेकिन दारा शिकोह ने औरंगजेब को बचाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। बस इसी दिन से औरंगजेब की आंखों में दारा शिकोह खटकने लगा था।

उत्तराधिकार की लड़ाई हार गया दारा शिकोह

इतालवी इतिहासकार निकोलाओ मनूची ने भी इसको लेकर एक कहानी लिखी है। उनके अनुसार औरंगजेब इसके बाद से अपनी पूरी सैन्य ताकत के साथ दारा शिकोह के साथ लड़ाई लड़ने लगा। औरंगजेब ने अपने भाई दारा शिकोह पर तोपों और बंदूक से हमला करवाया और इसके कारण उसकी सेना भी खत्म हो गई और दारा शिकोह उत्तराधिकार की लड़ाई भी हार गया।

दारा शिकोह को औरंगजेब ने बेटे के साथ दिल्ली की सड़कों पर करवाया जलील

इसके बाद शिकोह छुपते-छुपाते आगरा के किले में भी पहुंचा था। लेकिन औरंगजेब के आदेश के बाद उसके सैनिक उसे पकड़ लेते हैं। इसके बाद उसे दिल्ली लाया जाता है और यहां पर दारा शिकोह के साथ बहुत ही बुरा सलूक किया जाता है। फ्रांस के इतिहासकार फ्रांसुआ बर्नियर की किताब “ट्रैवल्स इन द मुगल इंडिया” में दारा शिकोह की हत्या की कहानी का जिक्र किया गया है। फ्रेंच इतिहासकार के अनुसार दिल्ली में दारा शिकोह और उसके 14 साल के बेटे को अलग-अलग हाथी पर बिठाया गया था और दिल्ली की सड़कों पर घूमकर जलील किया गया था।

शाहजहां के पास भेजा दारा का सिर

दारा शिकोह को उसके बेटे के साथ जेल में डाला गया था। औरंगज़ेब के आदेश पर दारा शिकोह पर इस्लाम के विरोधी होने के आरोप भी तय किए गए और उसे मौत की सजा दी गई। फ्रेंच इतिहासकार के अनुसार औरंगजेब ने ही दारा शिकोह का कटा हुआ सिर लाने का आदेश दिया था। औरंगजेब ने सिर को देखकर दारा शिकोह की पहचान की और फिर आदेश दिया कि इस शाहजहां के पास भेजा जाए।

ताज महल में क्यों दफनाया गया दारा शिकोह का सिर?

इतालवी इतिहासकार के अनुसार औरंगजेब ने दारा शिकोह की हत्या की खबर पत्र भेजकर दी थी। उसने अपने साथ काम करने वाले एतबार खान को बुलाया और पूरी खबर भेजने की जिम्मेदारी दी। जब शाहजहां ने औरंगजेब के पत्र की बात सुनी तो उन्हें लगा मेरा बेटा अभी तक मुझे याद करता है। इस दौरान जब तश्तरी से ढक्कन हटाया गया, वह तब बदहवास हो गया था क्योंकि उनके बड़े बेटे दारा शिकोह का कटा हुआ सिर रखा था।

इतालवी इतिहासकार के अनुसार दारा शिकोह के धड़ को तो हुमायूं के मकबरे में दफनाया गया लेकिन सिर को ताजमहल के परिसर में दफनाया गया। औरंगजेब का मानना था कि जब भी शाहजहां की नजर अपनी बेगम के मकबरे पर जाएगी तब उसे याद आएगा कि उसके बड़े बेटे का सिर भी वहीं पर है। हालांकि दारा शिकोह की असली कब्र का अभी तक पता नहीं चल पाया है क्योंकि इतिहासकार इसे लेकर अलग-अलग दावे करते हैं।